आज दिल को फ़िर से एक बेचैनी सी हुई,
याद आया कि आज तू फिर याद आया।।-
एक परिंदा हूं जो अपने पर तलाश रहा है!"
Two liner Lover🇮🇳
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एक रोज़ मैं बैठा कुछ सोच रहा था,
शून्य में छिपा अपना वजूद खोज रहा था,
लगा कि ज़िन्दगी में पाया क्या है?
जब दुख ही है आया तो गंवाया क्या है?
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कौन सा पहली बार ज़माने में ये हुआ है,
मेरे हाथों से ऐसा कौन सा गुनाह हुआ है,
जो बूढ़ा ज़माना करता आया है,
उसका एक पल ही तो मैंने दिखाया है,
इश्क़ किया है कोई गुनाह तो नहीं,
कौन सा तुमने कभी नहीं किया है,
नहीं किया तो करके देखो,
ज़िन्दगी का अलग हिस्सा तुमने नहीं जिया है,
हां, मेरा तो मुकम्मल नहीं हुआ,
लेकिन डूब कर इसमें एक लम्हा जिया है,
रब करे, तुम्हे इश्क़ का मीठा घूंठ मिले,
कड़वा पीने वालों ने तो बस ज़हर ही पिया है।।-
ये शाम ठहरती क्यों नहीं,
आगे अंधेरा है पर डरती क्यों नहीं,
बेचैन है क्या, ये किसी के प्यार में
या बस यूं ही मचल रही है किसी के इंतजार में।।
P.S- For full poem, see the caption below!!
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It's quite troublesome that when you are looking for somebody to talk to, nobody is available. Either they are busy or they just pretend to be.
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वो चाहत भी क्या ही चाहत थी,
जिसे वस्ल तक नसीब ना हुआ,
अहद रफ़ाक़त का सवाल था,
लेकिन जवाब में आश़्नाई ना थी।।-
बचपन के बहुत से ख्वाब थे, अब याद नहीं
खुद से किया कुछ वादा था, याद नहीं
कहां रख दिया ख़ुशी का पिटारा, याद नहीं
दफ़न है दर्द भी कहीं, पर कहां, याद नहीं।।-
इस बात पे घमंड दिखाते हैं,
उस बात पे आप उफ़नाते हैं,
लेकिन जिस सोच से ये सब करते,
उस सोच को हम दफ़नाते हैं।।-
Everybody is dealing with bigger problems in life and here I am feeling stressed without knowing why I am stressed.
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कर चला भरम अपने दूर खुदसे,
ये काफिला जिंदगी का जीने के लिए,
क्या सच का है कायदा,
क्या झूठ की है बंदिशें,
ना जाना मैंने ना समझा तूने,
फिर भी कभी लगे ग़र तनहा सफर में,
जी लेना एक बार फिर
खुद को तू, दरिया समझ के।।-