Shubham_ Mahajan   (कलम MAHAJAN की...✍️)
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Joined 8 May 2020


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2 APR AT 21:39

हमारे इस पाक से रिश्ते को, यार कभी झूठा न कर
डर है कही मैं मर न जाऊ, तू इस कदर मुझसे रूठा न कर

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9 FEB 2024 AT 18:25

ये मुमकिन ही नहीं, की तू मांगे और मैं न दूं
इतना न याद आ, कही मैं रो न दूं
मेरी इजहार न करने की, एक वजह ये भी है
डरता हुं कही मैं तुझे खो न दूं

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19 JAN 2024 AT 15:01

मैं लाऊंगा गुलाब उसे तुम अपनी किताबों में धरना
मेरे हर सवालों में तुम अपनी हांमी भरना
लाने को तो मै ले आऊं एक हसीं ख्वाब,मगर
तुम्हारी जिम्मेदारी रहेंगी उस ख्वाब को मुकम्मल करना

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19 JAN 2024 AT 13:13

यहां तो कमबख्त ‘आइना’ भी झूठा निकला
बताया जिसे ‘दायां’ वो तो मेरा ‘बायां’ निकला

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12 JAN 2024 AT 22:36

वो मेरे प्यार के जाल को इस तरह बुनती है
जाग के आधी रात को मेरी शायरी सुनती है

हम इजहार करते है बिना कुछ कहे
तू सलामत रहे, चाहे हम रहे, न रहे

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31 DEC 2023 AT 21:30

कैसे शिकायत करू ऐ बीते साल तुझसे
तुने उससे मिला दिया जिससे उम्मीद न थी

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26 DEC 2023 AT 20:27

शहर में इतनी शांति , कोई घर गया है क्या ?
मेरे दिल को चैन नहीं आ रहा, कोई मर गया है क्या?

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24 DEC 2023 AT 13:31

मेरे दिल में उसकी यादों का इस तरह ज्वार आया
फिर देखते ही देखते उसका मुझे, एक दिन कॉल आया

इससे पहले हमारे बीच कही बैर ना हो जाए
इजहार कर देता हु कही मुझे देर न हो जाए

दिल एक तरफ उसका तो एक तरफ हमारा जला
कुछ इस कदर हमारा कॉल रात भर चला

बात हिम्मत की नही है मैं तो उसे बस खोने से डरता हुं
या खुदा इसी असमंजस में उसे इजहार नही करता हुं

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16 DEC 2023 AT 11:48

तबियत थोड़ी भारी भारी सी रहने लगी है
लगता हैं उनकी झूठी कसमों का असर होने लगा है

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9 DEC 2023 AT 13:30

भौतिकता के इस दौर में, जो ‘विषयो’ में है अटक गया
जीवन विकास की दौड़ में, वो जीवन से ही भटक गया

विज्ञान के इस दौर में, सारे जहा का उसके पास ज्ञान है
मानव होकर भी मानव जैसा, दिखता न उसमें कुछ खास है

नादान है ये मानव, जो चला गया तेरे पास से
यही कारण है मां, जो घिरा पड़ा हैं ‘विषाद’ से

रोती हुई सूरत है जिसकी, जो हो गया निराश है
ऐसे मानव का ‘जीवन विषाद’, मिटा रहा ‘गीता प्रसाद’ है

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