हसमुख इंसान को कभी रोते देखा है,
अगर नहीं देखा तो ऊपर वाले से ये बोलना की वो पल कभी ना दिखाए, क्योंकि जब हसमुख इंसान रोता है तो वो बहुत टूट जाता है। मगर फिर भी वो ऊपर से मुस्कुराता तो है मगर मन ही मन वो बहुत रोता है-
एहसास
वो था अब नही है।
मेरी भी अब उम्र कम बची है।
क्यों रोना है, अपने हालात को देख के ए-ग़ालिब
ऊपर देख आसमान में क्या सुकून मिल रही है ताज़े हवा-ए- मिज़्ज़ के।
- शुभम कृष्णा-
आज बहुत उदास हूँ और अकेला भी,
कुछ अच्छा नही है, या फिर मुझे अच्छा नही लग रहा,
क्या ज़िन्दगी यही है,बहुत बुरा लगता है जब कोई बिना गलती के कुछ का कुछ बोल जाता है, शायद में आपने अपने ज़िन्दगी पे बोझ बन गया हूँ ऐसा लगने लगा है.............😢-
मानों कभी ऐसा लगता है कि ज़िन्दगी मुझे कही दूर ले जा रही है और ऐसा लग रहा है कि वापस आने का जीने का मैं रास्ता तलाश कर रहा हूँ।
मानो कल मैं ना रहूं तो????
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रश्मिरथी
कृष्ण की चेतावनी
‘दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम,
रक्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे,
परिजन पर असि न उठायेंगे!
दुर्योधन वह भी दे ना सका,
आशीष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।
- राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर-
रश्मिरथी
वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है।
मैत्री की राह बताने को,
सबको सुमार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को,
भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान् हस्तिनापुर आये,
पांडव का संदेशा लाये।
राष्ट्रकवि दिनकर की कविता
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ये मतलब की दुनिया है इसलिए मतलब से मतलब
रखिये और थोड़ा आप भी मतलबी बनिए।-