Shubham Krishna   (S.krishna कलाकार हूँ)
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S.krishna
Joined 13 March 2019


S.krishna
Joined 13 March 2019
25 JUL 2022 AT 22:46

हसमुख इंसान को कभी रोते देखा है,
अगर नहीं देखा तो ऊपर वाले से ये बोलना की वो पल कभी ना दिखाए, क्योंकि जब हसमुख इंसान रोता है तो वो बहुत टूट जाता है। मगर फिर भी वो ऊपर से मुस्कुराता तो है मगर मन ही मन वो बहुत रोता है

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1 MAY 2022 AT 1:56

एहसास

वो था अब नही है।
मेरी भी अब उम्र कम बची है।
क्यों रोना है, अपने हालात को देख के ए-ग़ालिब
ऊपर देख आसमान में क्या सुकून मिल रही है ताज़े हवा-ए- मिज़्ज़ के।
- शुभम कृष्णा

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17 AUG 2021 AT 23:57

आज बहुत उदास हूँ और अकेला भी,
कुछ अच्छा नही है, या फिर मुझे अच्छा नही लग रहा,
क्या ज़िन्दगी यही है,बहुत बुरा लगता है जब कोई बिना गलती के कुछ का कुछ बोल जाता है, शायद में आपने अपने ज़िन्दगी पे बोझ बन गया हूँ ऐसा लगने लगा है.............😢

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17 AUG 2021 AT 23:50

मानों कभी ऐसा लगता है कि ज़िन्दगी मुझे कही दूर ले जा रही है और ऐसा लग रहा है कि वापस आने का जीने का मैं रास्ता तलाश कर रहा हूँ।
मानो कल मैं ना रहूं तो????

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21 MAR 2021 AT 10:51

रश्मिरथी

कृष्ण की चेतावनी

‘दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम,
रक्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे,
परिजन पर असि न उठायेंगे!

दुर्योधन वह भी दे ना सका,
आशीष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।

- राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर

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21 MAR 2021 AT 10:45

रश्मिरथी

वर्षों तक वन में घूम-घूम,

बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है।

मैत्री की राह बताने को,
सबको सुमार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को,
भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान् हस्तिनापुर आये,
पांडव का संदेशा लाये।

राष्ट्रकवि दिनकर की कविता

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9 DEC 2020 AT 1:50

ये मतलब की दुनिया है इसलिए मतलब से मतलब
रखिये और थोड़ा आप भी मतलबी बनिए।

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14 NOV 2020 AT 23:21

क्या मुझे कोई बताएगा प्यार होता है क्या??

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14 NOV 2020 AT 23:12

हम सब अकेले पन के शिकार है,
हम भी और तुम भी।

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9 NOV 2020 AT 1:39

सब के लिए तू एक नाम है ,मेरे लिए तू मेरी पेहचान है ।

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