एक शख्स मुझसे चाहता कुछ नही
एक उसी शख्स को अब चाहता हु मैं..— % &-
कदर होती है इंसान की जरुरत पड़ने पर ही, बिना जरुरत के तो हीरे भी तिजोरी में रहते है…!
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कुछ नही है मगर है सब कुछ भी..
क्या अजब चीज़ है ये कागज़ भी..
बारिशों में है नाव कागज़ की
सर्दियों में अलाव कागज़ की
आसमा में पतंग कागज़ की..
सारी दुनिया मे जंग कागज़ की..-
तुम दूर सही , तुम्हे लिख खुद के करीब पाता हूं
बताता नही,पर तुम्हारे इंतज़ार में खुद को पाता हूं..-
कुछ इस तरह से हमारी बाते कम हो गयी
कैसे हो से शुरू और ठीक हु पर खत्म हो गयी-
सफर में है पर मंज़िल तय नही अपनी
जाने किस डोर से छूटकर भागे हुए है
जहाँ सारा शौक पूरे कर के सो चुका है
बस यु ही शौक से जागे हुए है हम
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मेरी तलब नही करती कुछ बेकरार तुमको
मालूम है मुझे, बस मैं ही करता हूँ प्यार तुमको
इस दिल की दरिदा गांठें ,होठो से खोल दो ना
तुमको भी प्यार है मुझसे ,यह झूठ बोल दो ना-
Dear students remember those teacher who tought u to speak , write and imbibed confidence in u ,those primary teachers need ur appreciation .I m doing my part u do urs. This Teacher's Day wish them.N 1 more thing never forget ur 1st teacher.....My blessings to all my students , Love you all
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बंसी सब सुर त्यागे है,एक ही सुर में बाजे है
हाल न पूछो मोहन का, सब कुछ राधे- राधे है
🙏श्री कृष्ण जन्मआष्ट्मी की हार्दिक शुभकामनाएं🙏-
"पत्थरों के शहर में सिरजा हुआ,
झूँठ का काँचघर मुबारक हो.
हट गई जड़ से लो मिट्टी सारी,
दीमको ये शजर मुबारक हो..!"
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