माँ तेरे हर रूप पूरी दुनिया मे पूज्यनीय है
घर और परिवार को सम्भालने मे तू काबिले सराहनीय है
जो बाट ले हर गम को और खुशियों को बिखेर दे
माँ तुझ जैसा कोई नहीं तू कोटी कोटी वंदनीय है
संवार देती है जो हमे अपनी आंचल की छाव से
गुण रूप सींचती है अपने संस्कारों के मूल भाव से
इस धरा पर कोई तुझ सा नहीं, तू भगवान का अलंकार है
नतमस्तक हुए आगे तेरे देव भी, तेरे त्याग के स्वभाव से-
ना इलाज है ना ही कोई दवाई है
ना जाने कितनों ने इससे राबता कर जान गंवाई है
सांसे रुक जाती है और सीना दर्द में होता है
ऐ इश्क पहली बार तेरे टक्कर की बला आई है-
ना जाने कौन सी कशमकश मे है ये जिंदगी
दर्द है उनके दूर होने की कैसे करे ये दिल्लगी
मजबूरियां कुछ उनकी भी है कुछ मेरी भी
किनारे मिल नहीं रहे और साहिल कर रही रवानगी-
हर रोज दम तोड़ती है ना जाने कितनी कहानिया
मोहब्बत है हर किसी कि मुक्कमल नहीं होती-
कुछ इस तरह मिलना हमसे कि बात रह जाए
बिछड़ भी जाए तो हाथो मे हाथ रह जाए
तुम अजनबी तो नहीं हो मेरे लिए अब
ग़र हुए अजनबी तो इस तरह कि दिल मे तुम्हारी पहचान रह जाए-
थम गई थी साहिले मंजिल का ना ऐतबार हुआ
उनको देखे ज़माना बीता हमको भी ना इंतजार हुआ
देखा उनको मुद्दतों बाद पर उनसे ना इकरार हुआ
ना चाहते हुए आज फिर मुझको इकतरफ़ा प्यार हुआ
एकतरफ़ा ही सही एक ही शख्स से दूसरी बार हुआ
उसकी आंखे पढ़ने को फिर एक बार करार हुआ
कह ना पाया दिल कि बात अपने उसका मै कसूरवार हुआ
चांद जैसे उस चेहरे से आज फिर मुझको इकतरफ़ा प्यार हुआ
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जीवन का सफर
जिंदगी ले चली राही थे अनजाने
लम्हा गुज़रता रहा हुए हम भी सयाने
हौसले बुलंद थे गाँव की खामोशी लगी बताने
संघर्ष की लड़ाई वो शहर की हलचल क्या जाने
ढूंढते थे सारथी अपनी मंजिल को पाने
मतलबी दुनिया मे मिले सभी अनजाने
हारे गिरे किस्मत भी लगी आजमाने
चलते रहे फिर भी मन को अपने ठाने
संघर्ष की लड़ाई वो शहर की हलचल क्या जाने
चल रहे थे कांटों पर अपनी कौशलता दिखाने
टूटे बिखरे कुछ सपने फिर भी हार ना माने
खड़ा हुआ निडर सपनो को पूरा कर दिखाने
दौड़ चला था मै शांत मन को अपने साने
संघर्ष की लड़ाई वो शहर की हलचल क्या जाने-
एक इल्तेजा थी कि कभी नजरे मिलआयेंगे हमसे
अपनी जिंदगी मे खुद को रुबरु कराएंगे हमसे
हम तो तरसते रहे उनके इजहार ए इश्क को
बड़े सलीके से कहा एक दिन, अपने इश्क को मिलआयेंगे हमसे-