Shubham Jain   (Decent_Devil_sj)
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Writer, guitarist, artist, dancer, acting, CA aspirant
Joined 28 December 2019


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Joined 28 December 2019
19 JAN 2021 AT 23:16

काश कभी फिर ऐसा हो,
ख़्वाब हकीक़त जैसा हो,
मैं देखू नज़र उठा तुझको,
फिर इश्क तुम्हीं से वैसा हो।

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18 JAN 2021 AT 23:09

बता दे अभी हो तेरे दिल में जो भी,
संभल जाऊँगी मैं वक़्त है थोड़ा तो भी,
और नहीं देखा मैंने ऐसा कभी इश्क़ में,
एक तरफा मैं भी - एक तरफ़ा वो भी।

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1 JUN 2020 AT 23:08

वास्ता-ए-वफा तुझसे ही रखूँगा मैं,
हर कदम पर साथ तेरे ही चलूंगा मैं,
करने दे मुझे अब ये खुलकर इश्क़,
ना जाने फिर कब गलती करूंगा मैं।

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16 MAY 2020 AT 0:08

मेहरबान हम भी हो गये खुद पर,
अब बात जो आ पडी है जिद पर,
बंद हो गया पतंग भी उड़ना वहाँ,
जंहा करते थे इंतजार तेरा क्षत पर..

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11 MAY 2020 AT 22:28

कैसा ये इश्क़ है जो जता नहीं सकता,
मैं चाहता हूं तुझे पर सता नहीं सकता,
डरता हूं मैं तुझे खो देने के यकीन से,
तेरा होकर भी तुझे ये बता नहीं सकता।

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7 MAY 2020 AT 22:29

ये इश्क़ नहीं ऐसा मुझे बताते रहे,
वजह वे-वजह मुझे यूँ सताते रहे,
नहीं हो सकेंगे इस जन्म मे वो मेरे,
ता-उम्र मुझे ये यकीन दिलाते रहे...

मिल जायेगा इश्क अगर सच्चा है,
ये वहम था पर खुद को मनाते रहे,
देखते रहे सदा उसको गैरों के साथ,
कुछ ना बोले पर खुदको जलाते रहे..

जब खत्म हुआ रिश्ता तो लगा ऐसा,
हम कितना खुद को पागल बनाते रहे,
कर दिया बयां हर अल्फाज़ उसका,
जो अब तक हम लोगों से छुपाते रहे..

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6 MAY 2020 AT 1:02

निगाहों मे उसकी अब बे-पाक हो गए,
चाहत थी इसीलिए खुद ख़ाक हों गए,
बेशक तू इश्क़ नहीं है आग का दरिया,
इतना सा चखे और पूरा राख हो गए..

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4 MAY 2020 AT 1:23

में तब तक ही ठीक था जब में "में" था,
काम बिगड़ गया जब से तुम मुझमे घुले हो.

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30 APR 2020 AT 21:21

रात भर सोचकर अल्फाज़ लिखता हूँ,
सुबह होते ही किसी और के हो जाते है,
तुम्हें ये बात पढ़ने तक की फुर्सत नहीं,
यहां हर शब्द तुम्हारे गुलाम हो जाते हैं.

जरा मेहसूस करके देख इन शब्दों को,
तू भी सोचेगी हम तुम एक हो जाते हैं,
यंहा तुझे मेरे साथ होने की कदर नहीं,
और कुछ लोग मिलकर अलग हो जाते है।

क्या ही याद दिलाना तुझे अब बार बार,
कुछ लोग चीज़े नहीं इंसान भूल जाते है,
मुमकिन नहीं मिटा पाना हर एक निशा तेरा
कुछ अधूरे ख्वाब अपना निशा छोड़ जाते है.

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20 MAR 2020 AT 1:24

हर बार की मेरी ये ही कहानी है,
में उसका और वो गैर की दीवानी है,
ना में मिलता उसको ना मुझको वो,
ये किस्मत नहीं कोई बद्दुआ पुरानी है

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