Shubham Garg Kumar Shukla   (ब्राह्मण)
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Joined 18 July 2020


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Joined 18 July 2020
27 JUN 2022 AT 15:21

जिंदगी कह रही है कि अब रुक जा यहीं कहीं ,,

और मन कह रहा है कि अभी थोड़ा और चलना है ||


✒️-
S. G. K. S.

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29 MAR 2022 AT 14:24

अगर तुम कहो तो मैं खुद को भी मिटा दूँ -२

तुम्हें भूल जाऊँ मैं मुझमें इतनी ताकत नहीं है ||

✒️_

S. G. K. S.

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18 FEB 2022 AT 23:28

मेरी तस्वीर को जब देखा गया तो कुछ यूँ कहा लोगों ने ,,

ये शख्स कभी हॅंसता नहीं था इसे जबरदस्ती हॅंसाया

गया है ||

✒️-
S. G. K. S. — % &

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19 JAN 2022 AT 15:36

खोज रहा हूँ आजकल उस मासूमियत को मैं ,

जो कभी बचपन के दिनों में हुआ करती थी

मेरे पास ||

🖊-

S. G. K. S.

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19 JAN 2022 AT 0:12

रफ्ता - रफ्ता बना रहे थे हम भी अपना आशियाना ,,

फिर एक तेज हवा के झोके ने सब तबाह कर दिया ||

🖊-
S. G. K. S.

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19 JAN 2022 AT 0:04

शायद मेरा और तेरा एक होना तकदीर में ही नहीं था ,,

वर्ना ऐसे भी भला मिल कर बिछड़ता है कोई ||

🖊-

S. G. K. S.

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18 JAN 2022 AT 23:57

तू यूँ झूठे वादे न कर ऐ बंदे चाॅंद - तारों को तोड़ लाने

की ,,

तुझसे पहले भी कईयों ने वादा किया था अपनी हीर से भी


यही अब तलक कोई मुकम्मल न कर सका ||

S. G. K. S.

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18 JAN 2022 AT 23:47

एक तेरा चेहरा देखने की ही तलब हुआ करती थी मुझे ऐ

सनम ,,,,

अब एक आलम ये भी है कि तेरा दीदार करना पसंद नहीं है

मुझे ||
🖊-

S. G. K. S.

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31 DEC 2021 AT 10:34

बहुतों ने अपने रंग दिखाये , बहुतों ने साथ छोड़ दिया ,

वाकई इस साल भी कुछ अजीब ही गुजर गया है ||

🖊-

S. G. K. S.

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31 DEC 2021 AT 10:29

इस खत्म होते साल के दरमियाँ ,

कुछ रिश्ते भी अब खत्म हो गये हैं ||

🖊-

S. G. K. S.

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