बेचैन था मेरा चैन तुम,
बेसब्र था मेरा सब्र तुम,
बेख़बर था मेरी फ़िक्र तुम,
मैं अनीश्वर, पर ईश्वर की दुआ तुम।
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मैं बेचैन था, तुम शाम का सुकून हो।
मैं बेसब्र था, तुम साबिर का सब्र हो।
मैं बेख़बर था, तुम हर राज़ की ख़बर हो।
मैं अनीश्वर... पर तुम ईश्वर की भेंट हो।
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फिरसे एक बार बेवज़ा मुलाकातें होंगी,
वहीं पुरानी चाय और दुनियाभर की बातें होंगी|-
पराई धरती पे जिन्हेँ समझा था अपना,
अरमानों की बली उनसे ही चढ़ि है|
हम तो नामसमज भरोसा कर भैठे,
क़ीमत उन्होंने इज़्जत खो के भरी है!-
यु तो दिल मेरा कैद है पसलियों के पिंजरो में |
पर जबसे उनका दीदार हुआ,
कम्बख्त उडान की फितरत में है |-
मैं हारा हु सेकड़ो बार,
मैंने गलतियां की है हज़ार |
पर जितनी बार मैं फ़िरसे खडा हुआ,
मैं जीता भी हु |-
मोहब्बत की है तो बेवफ़ाई से वफ़ा रखो,
सच्चे आशिक़ हो तो उनके ख़ुशी में खुश रहो|-
इश्क़ किया था तुमसे इश्क़ आज भी है,
पर तुम्हे पाने के फितूर से खुद को जुदा कर रहा हु|
के शायद मै बदल रहा हु...-