जिंकण्याची जिद्द आहे संकट पुढे हजार असुदे
थांबण्याची ही वेळ नाही,शस्त्रास तेज़ धार असुदे
कोण अपुले अन कोण वैरी ह्याची मला पारख असो
हात पाठीवर कुणाचा, इतकाच मी समजदार असुदे— % &-
@shubhams_chronicles
देव म्हणे सांग लेका
आता काय तुले देऊ
जसा बाप नेला देवा
तशी माय नको नेऊ
बाप गेला दूर देशी
मले वाटते रे भीती
माय एकटी उरली
तिले मारू दे रे मिठी
देवा, बापाची सावली
तुनं केली रे नाहीशी
आता रातीच्या अंधारी
मले कोण रे सोबती
जसं माया संगं केलं
नको कोणा संगं करू
अन लेकराचे डोळे
नको आसवानं भरू-
मेरे दिल पे लगे जो तीर,काश वो तेरी कमान से निकलें
फ़िर जान निकलें मेरी, मगर इतमिनान से निकलें
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मकरूह पडी तेरी यादें, दिल-ए-मक़ान में हैं अब तक़
अब की बार ये निकलें, तोह दिल-ओ-जान से निकलें
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मैं रोता नही हूं किसी ग़ैर की यादों में लेक़िन; तेरे लिये
अब की बार आँसू निकले, तो पूरे अरमान से निकलें
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कभी उतरकर दिल मे भी देखो हमारे
सजा रक्खें है कई ख़्वाब हमने तुम्हारे,
हम अब्भी तेरे इंतेज़ार में है, सोच लो
छूट गए ,तो हाथ भी ना आएंगे तुम्हारे,-
मिटताच पापण्या मी, चेहरा तुझा दिसावा,
हृदयास भोवताली, पेहेरा तुझा असावा,
तू मिठीत असता, दरवळे गंध ओळखीचा
तो केसात माळलेला, मोगरा तुझ्या असावा,
करणार सारखा मी, प्रशंसा तुझ्या रूपाची
पण मैफिलीत लाजणारा, चेहरा तुझा असावा
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थक गए हम इंतेज़ार तुम्हारा कर के,
शायद फ़स गए ईश्क़ दोबारा कर के,
बड़े ग़म है,ज़िंदगी से मिले हुए हम को
अब तो मिले खुशियाँ पिटारा भर के,
लोग केहते है, की इशारों में बातें नही होती
वो मेरी जान लेती थी,बस्स ईक़ ईशारा कर के,
के अब ज़िंदगी भी बड़ी मेहेंगी हो गईं है
तो जी रहे है चंद सांसों में गुज़ारा कर के,-
मेरी जान तुम पर अब मर मिटेंगे नही,
तेरी गलियों में हम फिर दिखेंगे नही,
दस्तावेज़ पर नही हमे दिल पर लिखो
किसी कीमत में हम फिर बिकेंगे नही,
ईक़ नज़र भर के देख भी लो हम को
कही मर गए हम तो फिर दिखेंगे नही,
ये शेर आख़री लिखतें है तुम्हारे लिए,पढ़ लो
के इसके बाद तुम्हारे लिए फिर लिखेंगे नही,-
🎂जन्मदिन मुबारक़ हो
तुम्हारे जन्मदिन पर अब,शायद ही मुलाक़ात होगी,
कल बात भी हो गई तुमसे,तो ख़ुशी की बात होगी,
मिलना-ज़ुलन अब सब दूर की बातें हो गई है
तेरा तसव्वुर भी हो जाये तो क्या बात होगी,
मिलने का वादा कर के कही भूल तो नही गए
किये हुए वादों पे अमल हो तो क्या बात होगी,-
मी लिहावे गीत तू गुणगुणावे सदा
घर तुझ्या पैंजणाने रुणझुणावे सदा
भाळलो ऐकताच मधुर गाणे तुझे
वाटते गीत हेच तू म्हणावें सदा
जरी आज अपुले प्रेम नाते नसुदे
उद्या शक्यं आहे तू म्हणावें सदा
दुरावा जरी अपुल्या दोघांत आहे
दुरावे दूर होतील हे तू म्हणावें सदा-
बननें को तो शायर अब कौन नही बन सकता
मगर जनाब कोई शायर जौन" नही बन सकता
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