लब उनकी पंखुड़ियां कवल की ।
रुखसार उनके गुलाब देखो।।
आंखे जैसे दो जाम उनकी ।
रूख-ए-रौशन आफताब देखो।।-
"Love to portray my feelings in words " 📒📒✒✒😍😍
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क्या खुब हमारी जोड़ी हैं।
थोड़ी धूप, छांव थोड़ी हैं ।।
मैं एक रंग में रंगा हुआ।
वो नौ रंगों की रंगोली हैं ।।
मैं विष महादेव के कंठ का ।
वो माँ सरस्वती की बोली हैं।।
मेरी रूखी सी जिंदगी में ।
उसने ही मिठास घोली हैं ।।-
आंखों में काजल, होठों पर मुस्कान लिए बैठे है ।
याने वो मेरे कत्ल का सामान लिए बैठे हैं ।।
और उन्हें चाहत है मेरे दिल की फ़कत।
पर हम यहां हथेली पर जान लिए बैठे है ।।
वो तो खुश है दो पल की मुलाकात से भी ।
और हम ताउम्र उनके साथ का अरमान लिए बैठे हैं ।।
चुप हैं मगर आँखों से बयाँ हर राज़ करते हैं,
जैसे कोई ख़ामोश फ़रमान लिए बैठे हैं।।
बैठे हैं बड़े फ़क्र से महफ़िल के दरमियाँ ।।
जैसे सारे दिलों का गुमान लिए बैठें है ।।
हम समझें थे ये दिल लगाना होगा खेल राही।
पर वो इश्क़ के कई इम्तहान लिए बैठे हैं ।।-
जय जय जय जय जय शिवराय ।
नम नम नम ॐ नमः शिवाय।।
देख धरा का हाल, जब क्रुद्ध हुए महाकाल ।
करने अरि का संहार, बन आए जिजाऊ के लाल ।।
जय जय जय जय जय शिवराय ।
नम नम नम ॐ नमः शिवाय ।।-
मैं वो कातिल जो खुद को मार बैठा ।
मैं वो जुआरी जो बाजी हार बैठा ।।
मेरे सांचे में तुम न ढलना ।
मेरे नक्शे कदम पर तुम न चलना।।
मैं कोई हीरो, कोई नायक नहीं हु ।
मैं किसी काबिल किसी लायक़ नहीं हु।।
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उनकी यादों से किनारा अब करना होगा ।
होश आते ही फिर जाम भरना होगा ।।
और वास्ता अब नहीं, उन्हें तेरे ज़ख्मों से राही ।
तेरे ज़ख्मों पर मरहम अब तुझे खुद मलना होगा ।।-
जिंदगी गर जिनी है तो झरने की तरह जी राही ।
जो कही तालाब बन गया तो गमों से भर जायेगा।।-
एक तो तेरे यादों ने रात भर सोने ना दिया ।
जो मिलने की सोची सुबह तो बारिश ने ये होने ना दिया ।।
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फिर किसी से दिल लगा लू सोच रहा हूँ
फिर कोई नयी चोट खा लू सोच रहा हूँ
भरने लगे है पुराने घाव अब दिल के
ज़ख्म नए और लगा लू सोच रहा हूँ
एक अरसे से मिला नहीं है सुकूँ, के अब,
माँ की गोदी में सिर टिका लू सोच रहा हूँ
थक गया हूँ भागते भागते जिंदगी से राही
अब बस मौत को गले लगा लू सोच रहा हूँ-
तुम लगने लगी हो हमे महताब सी ।
तुम्हारी ज़रूरत है हमें आफताब सी ।।
ज़रूरत नहीं हमे किसी मयखाने की, बस ।
काफ़ी है नशीली आंखे तुम्हारी शराब सी ।।
खींच लेती है हमें अब तुम्हारी ओर ।
फिज़ा में फैली खुशबू तुम्हारी गुलाब सी ।।
राज कई दफन हैं उनके सीने में, "राही" ।
हैं शक्सियत जिनकी खुली किताब सी ।।-