Shubham Agrawal   (समर्थ)
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Insta: theshubhamchaudhary_

Black Inked Diary
Diary to express the emotions!
Joined 24 October 2017


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Black Inked Diary
Diary to express the emotions!
Joined 24 October 2017
29 APR 2020 AT 19:58

ये रात भी बड़ी बदमाश निकली।
तेरी यादों को दिल से निकाल ज़हन की राह बता गई।
फ़िर तेरे क़दमों की आहट से मुझे तड़पा गई,
सदियों बाद एक कोरा कागज़ शब्द भरने को थमा गई।
फ़िर तेरी ख़ामोशी भारी बातों में मुझे उलझा गई,
तेरे इशारों से मुझे तेरा बना गई।
फ़िर तेरी सांसों से मुझको महका गई,
तेरी मुस्कुराहट से मेरा हर गम मिटा गई।
फ़िर एक लम्हें में पूरी ज़िन्दगी दिखला गई,
किस्सा अधूरा फ़िर से रहा ये तेरी आंखे मुझको पढ़ा गई।
ये रात भी बड़ी बदमाश निकली।
तेरी यादों को दिल से निकाल ज़हन की राह बता गई।
तेरा जो होना मुमकिन नहीं फिर भी तुझसे बिन पूछे तुझसे दूर मुझको तेरा बना गई।

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26 APR 2020 AT 0:27

आख़री दफ़ा इज़हार किया तो होता।
पास आने का इकरार किया तो होता।
मोहब्बत हो पर हाथो की लकीरो में नहीं।
मुझसे एक बार कहा तो होता।
एक आख़री बार मेरे दिल में रह लेते।
बस एक बार इस दिल को अपना आशियाना कह लेते।
बिछड़ने से ज़रा पहले तुम मेरे होकर मुझमें रह लेते।

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24 APR 2020 AT 21:55

मेरी हसरतें तुझसे जुड़ी तुझसे निखरती हैं।
मेरी आदतें तुझसे ही तो सवरती हैं।
तेरे खयाल से ही सुकून मिला हैं जीवन को।
तेरा ज़िन्दगी में होना जैसे ज़िन्दगी को ज़िन्दगी मिली हैं।

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21 APR 2020 AT 8:59

अजीब बात हैं
वो मुस्कुराहटों की घिरी चादर से सबको खुश करने चला था
गिरते पड़ते उत्साह से सबको हसाने चला था
चोट नज़रंदाज़ कर खुदकी
बाकी दिलो के ज़ख्मों को भरने चला था
चहरे पर मुस्कान लगाए अपने दर्द को दुनिया से छिपाए
दिल में वेदना दबा वो अपनी राह चला था
दुआ हैं वो जिसका नाम मसख़रा पड़ा था

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19 APR 2020 AT 11:21

जब भी किसी ने इश्क़ पर नज़्म लिखने कहा।
मैं कोरे कागजों को रंग ना सका।
भीड़ में अपनी मोहब्बत को ज़ाहिर करना भी ज़रूरी था।
तो बस तेरा नाम पढ़ अपनी राह पर चल पड़ा।

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25 MAR 2020 AT 20:57

कुछ ख़ामोश हैं कुछ अनजान हैं।
कभी मासूम सी तो कभी शैतान हैं।
बातें कम मुलाकातें कम फ़िर भी कुछ ख़ास हैं।
यार हैं, इंतज़ार हैं।
अल्फ़ाज़-ए-कलम हैं...
पर खुली किताब में छिपी गहरा राज़ हैं...

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14 MAR 2020 AT 10:41

कुछ अल्फ़ाज़ मुस्कुराहटों में दब जाते हैं।
कुछ किस्से सिर्फ़ आंखो से पढ़े जाते हैं।
कुछ बातें अंश मात्र भी बताई नहीं जाती।
कुछ लहज़े ख़ामोशियों में पिरोए जाते हैं।

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17 JAN 2020 AT 15:56

कुछ नज़दीकियां ज़ख्मों से परे हैं।
कुछ जैसे बेताबियों से घिरे हैं।
दूरियां जो मिटा ना पाए दर्द,
ऐसी हैं ये नज़दीकी।
बिन कहे बता दे दास्तां दिलो की,
ऐसी हैं ये आशिक़ी।

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17 JAN 2020 AT 15:48

FALLING , LAYING and RISING
I have learned the CONCEPT OF FAKE SMILING.

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13 JAN 2020 AT 13:12

क्यों हम हसने से कतराने लगे।
क्यों अब हर पल अनजाना सा लगे।

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