इत्तिला से भी एतमात न हुआ उन्हें,,,,
जब तक मेरा मुर्द _ए _ताबूत न निकला उनकी गुजरगाह से //-
हमने डूबने की भी तो कोशिश की
बस उसकी आंखों में ही कमी थी कुछ पानी की
चाहते थे थामना हाथ ,,,,,,
शायद उसके नुकूशे _दस्ता में ही कुछ अधूरी कहानी थी ///
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वो शिव है वो शून्य भी है
श्मशान का उसको मुल्य भी है
वो आरंभ है वो अंत भी है
वो मोक्ष है वो अक्ष भी है
वो त्याग है वैराग्य भी है
क्रोध में वो सैलाब भी है
तू बैठ उसकी चरणों में
वो सामि है वो दातृ भी है //-
मैं हर शाम उसकी गलियों से गुजरता रहा ,,,
उसने ताक़ुब भी किया जब मैं गुजर गया ///-
उसकी तल्खियां भी मुस्तहब है मुझे,,,,
एक बार गरल वो दे कर तो देखे////-
मै मजलिसों में उसको ढूंढती रही,,,,,,
ब _चश्म _ए _नम हुआ वो किसी और की बाहों में ////-
इक मुलाकात का इशारा दे गया,,,,,,,,
हमने हाल पूछा वो पता दे गया ///////-
बर्फ़ सी ठंड तो कभी आतिश की तपन स लगता है ,,,
तेरा प्यार कुछ मौसिम स लगता है //////-
नज़रे ढूंढती हैं उसे लेकिन
मिलती नहीं
इश्क इश्क कहता है लेकिन करता नही
ख़्वाब स लगता है लेकिन
आता नही
वो एक परिंदा है जो मेरी छत से गुजरता ही नही।।।।।।-