तेरी हसरत-ए-तीरगी से होकर, सुख़न-नवाज़ निकले,
तेरे खामोश लब्ज़, सीधा दिल के आर-पार निकले!
काफ़िया पैमाई की ज़रूरत कहाँ, तुम जैसे सुखनवरों को,
अपनी लबों से जो तुम बोलो, वो रानाई-ए-कौनैन निकले!!-
बुझती हुई आग से उठता हुआ धुआँ हुन मैं,
ज़िन्दगी की मु... read more
खुली आँखों से देखे ख़्वाब, इंतज़ार के लम्हें बढ़ाते है,
जो लोग रातों में सो नहीं पाते, वो ये पेशा आजमाते हैं!-
हो खामोश लब, इंतज़ार करती आँखें, ठहरे अल्फ़ाज़,
सिर्फ बदलती हो नस्ल, पर इश्क़ ज़िंदा रहती है जहाँ!-
अल्फ़ाज़ों की तलाश में भटकने वाले शायर कई हैं यहाँ,
इत्तिला हो, शायरी एहसास, जज़्बात से लिखी जाती है!-
And now the clouds roam over the hills, ready to weep. Apparently "The North Remembers".
"Winter is Coming"-
यहाँ इश्क़ वो करे, जिसे ग़म-ए-तन्हाई से राब्ता हो,
तज़र्बा हर सख्श का है, हर ख्वाइश पूरी नहीं होती!-
हमसफ़र को ढूंढने, हम जाने किस सफर पे निकल आये,
न मंज़िल का ठिकाना है, न वापस लौटने का बहाना है!-
हमने भी काटी हैं, सबकी तरह ही, हिज्र की तन्हा रातें,
बस फर्क ये है, मेरे मर्ज की ज़माने में कोई दवा नहीं थी!-
मेरी थकी हुई आँखों को, गेहरी नींद की ज़ुरूरत है,
और एक ज़िन्दगी है, जो दिन मुकर्रर किए जाती है!-