Shubh Thakur   (शुभांश)
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Joined 2 October 2017


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7 MAR 2022 AT 1:57

तेरी हसरत-ए-तीरगी से होकर, सुख़न-नवाज़ निकले,
तेरे खामोश लब्ज़, सीधा दिल के आर-पार निकले!
काफ़िया पैमाई की ज़रूरत कहाँ, तुम जैसे सुखनवरों को,
अपनी लबों से जो तुम बोलो, वो रानाई-ए-कौनैन निकले!!

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16 DEC 2020 AT 16:46

खुली आँखों से देखे ख़्वाब, इंतज़ार के लम्हें बढ़ाते है,
जो लोग रातों में सो नहीं पाते, वो ये पेशा आजमाते हैं!

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12 DEC 2020 AT 14:27

हो खामोश लब, इंतज़ार करती आँखें, ठहरे अल्फ़ाज़,
सिर्फ बदलती हो नस्ल, पर इश्क़ ज़िंदा रहती है जहाँ!

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1 DEC 2020 AT 12:28

अल्फ़ाज़ों की तलाश में भटकने वाले शायर कई हैं यहाँ,
इत्तिला हो, शायरी एहसास, जज़्बात से लिखी जाती है!

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23 NOV 2020 AT 10:30

And now the clouds roam over the hills, ready to weep. Apparently "The North Remembers".

"Winter is Coming"

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21 NOV 2020 AT 12:24

शुक्र है, शायरी करना एक हुनर है,
जो आसान होता, तो कारोबार होता!

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18 NOV 2020 AT 10:26

यहाँ इश्क़ वो करे, जिसे ग़म-ए-तन्हाई से राब्ता हो,
तज़र्बा हर सख्श का है, हर ख्वाइश पूरी नहीं होती!

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3 NOV 2020 AT 0:18

हमसफ़र को ढूंढने, हम जाने किस सफर पे निकल आये,
न मंज़िल का ठिकाना है, न वापस लौटने का बहाना है!

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23 OCT 2020 AT 13:01

हमने भी काटी हैं, सबकी तरह ही, हिज्र की तन्हा रातें,
बस फर्क ये है, मेरे मर्ज की ज़माने में कोई दवा नहीं थी!

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14 OCT 2020 AT 12:13

मेरी थकी हुई आँखों को, गेहरी नींद की ज़ुरूरत है,
और एक ज़िन्दगी है, जो दिन मुकर्रर किए जाती है!

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