Shubh Srivastava   (PENtastic (shubh))
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Joined 12 July 2017


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18 MAR 2023 AT 20:41

मेरे ज़हन से भी क्यों नहीं चले जाते ?
वो लोग जो अब कभी लौट कर नहीं आएंगे !

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7 JUL 2022 AT 19:09

तू क्यों सुकून नहीं चाहता, कब तक रखेगा यूं बेचैन मुझे ?
हार कर मुझसे मेरे दिल ने आज ये सवाल पूछा है !

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24 MAY 2022 AT 1:54

Is intezaar mein guzaare hain Maine tamaam lamhe..

Ki Unka ek paigham aayega, aur meri musarrat laut aayegi..
Ki unka ek paigham aayega, aur uns ki zarurat laut aayegi..
Ki unka ek paigham aayega, aur unhe paane Ki hasrat laut aayegi..
Ki unka ek paigham aayega, aur zindagi mein mohabbat laut aayegi..

Is intezaar mein guzaare hain Maine tamaam lamhe..

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27 APR 2022 AT 21:08

Koi tum sa hi, kaash tum ko mile,
Muddaa humko sirf inteqaam se hai.

Jali ho tum bhi is aag mein har pal,
Muddaa humko sirf is paigham se hai.

Saans tak lena doobhar hai tumhaara bhi,
Muddaa humko sirf is payaam se hai.

Yeh zeher lag gayaa tumhaare honton se bhi,
Muddaa humko sirf us jaam se hai.

Koi bhi ho, bass tod de tumko bhi,
Muddaa humko sirf uske naam se hai.

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22 APR 2022 AT 1:13

Yun sochta hoon kabhi-kabhi ki dil se bad'duaayein dun usey !
Phir khyaal aata hai ki woh bewafa toh khud ek bad'duaa hai,
Jise lag gayi, samjho uski lanka lag gayi !!!

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22 MAR 2022 AT 1:14

Aana toota rishta lekar,
Gunjaaish ki baat karenge.
Is bikhre-toote dil ki phir,
Numaaish ki baat karenge.

Jis jatan se tune mere,
Khwaabon ko toda tha.
Usi jatan se phir aaj,
Unhe sametne ki baat karenge.

Jis chehak se tum gayi thi,
Gairon ki baahon mein.
Aana phir itmeenaan se,
Us chehak ki baat karenge.

Un saare jhoothe waadon ki,
Teri dhokhe bhari baaton ki.
Magar un haseen mulaqaton,
Un beparwahiyon ki baat karenge.

Rahi hogi koi qasar shaayad,
Meri us mohabbat mein.
Haathon mein haath le kar,
Us mohabbat ki baat karenge.

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26 DEC 2021 AT 18:22

जुड़ना, जुड़ कर टूटना, फिर टूट कर बिखर जाना,
इस दिल की किस्मत में यही लिखा था शायद ।।

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26 DEC 2021 AT 18:08

यूँ तो नाज़ बहुत था अपने यार पे मुझे ।
और पहले उसने दिल तोड़ा, फिर घमंड ।।

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8 JUL 2021 AT 23:29

कहते हैं, खुशियों को अक्सर नज़र लग जाया करती है,
बेवक़्त-बेवजह किस्मत हमें सताया करती है ।
यूँ तो इनायतें बेसबब बख्शता है ऊपर वाला मगर,
उसके एक इशारे पे लकीरें, सुकूँ छीन ले जाया करती हैं ।।

ऐसे ही सिलसिलेवार वाक़ये हुए हमारे साथ,
ज़िक्र भी न कर सकें हम कुछ ऐसी हुई बात।
रह जाते थे तड़प कर दिल ही दिल में हम,
कोशिशें लाख कीं मगर छूटने लगे हाथ ।।

बेचैन रातों का जैसे सिलसिला सा शुरू हो गया,
जो मिला था करार साथ उनके, धीरे-धीरे सब खो गया ।
पहले जिन आँखों में कशिश थी, ख्वाब थे, इत्मीनान था,
अब उन आँखों का बेकरार पंछी, तस्कीन बिना सो गया ।।

अब न चाहत है किसी की, न किसी की इबादत है,
ताउम्र दिल में एक कसक की, अब पड़ ही जानी आदत है ।
हाँ ! सांसें अब भी हैं और ये जिस्म ज़िंदा अब भी है,
क्योंकि ज़िंदा लाश बने रहने में ही इस दिल की शहादत है ।।

इस दास्तान का ये अंजाम हमें मंज़ूर नहीं था,
हर रात एक जलजला सहने का कोई फितूर नहीं था ।
दरिया के दो किनारों जैसा हमारा नसीब रहेगा सदा,
ये सज़ा हुई मुकर्रर, मगर हमारा कसूर नहीं था।।

To be continued...

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5 JUL 2021 AT 23:24

जब उस शक़्स के लिए लिखना शुरू करता था,
तो क़लम रुकने का नाम नहीं लेती थी ।
तसव्वुरीयत की कोई सरहद नहीं होती थी,
वो तख़लीकें पढ़ कर सांसें आवाम नहीं लेती थी ।।

मेरी कोई खासियत न थी इसमे, न मेरा कोई हाथ था,
सब उसकी शख्सियत का कमाल था बस ।
उसकी अदाएं, उसकी रूहानियत, उसकी बातें,
सुध में रह कर भी, हाल मेरा बेहाल था बस ।।

शामिल हुई थी वो ज़िन्दगी में कुछ इस क़दर,
मैंने किसी को भी देखना, सोचना, चाहना, छोड़ सा दिया ।
किसी और की फिर कभी हसरत ही नहीं हुई,
जिंदगी मुक़म्मल सोच कर खुद को उससे जोड़ सा दिया ।।

उसकी ख्वाइशें मेरी पहली अहमियत बन गईं,
उसकी हर बात मानना जैसे मेरा ईमान हो गया ।
वो पहले इश्क़, फिर आदत, फिर ज़रूरत बन गयी,
और मुझे उसका सिर्फ मेरी होने का घुमान हो गया ।।

बेहद हसीन थी मेरी दुनिया उसके साथ,
बिल्कुल वैसी, जैसी एक तितली की होती है फूलों के बीच ।
उसकी मोहब्बत ने कुछ यूं बनाई थी जगह दिल की गलियों में,
जैसे राधा-कृष्ण विचरते हों सावन के झूलों के बीच ।।

To be continued...

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