खुद को वीर साबित कर युद्ध के विशाल पथ पर,
हर तूफान से टकरा कर सवार हो गतिमान रथ पर,
रणभूमि से मत डर विजयी होने की शपथ कर,
रूके न कदम चाहे लहू बहे इस अग्निपथ पर।
मंजिल तक पहुंचने के लिए रुकना मत कर,
हर चट्टाने दीवारों को तोड़कर पहुंच ऊंची पर्वत पर,
डाल दे हथियार एक-एक करके शत्रु के हरकत पर,
विजय का परचम लहराने में ऊपर वाले से बरकत कर।
हौसलों और हिम्मतों को और मजबूत कर,
मातृभूमि की रक्षा कर वीर सपूत बनकर,
सबका उत्साह वर्धन कर अवदूत बनकर,
वीरता का भव्य बखान हो मेघदूत बनकर।
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