Kuch alfazon me kharch ho jayein itne saste bhi nahi
Hain hum...
Aur yaha hum me main nahi HUM hain...-
क्यूँकि मुस्कुराना ही इतना सीख लिया।
दर्द की सीमा इस क़दर पार कर ... read more
Duaein hain masroof auron ke angan ko mehkane mein.
Dawa ka bhi asar na raha.
Jo alam hai ab hamara aisa to fariyaad karne ki koshish bhi na hogi hamse, bas ab to khula asmaan aur hum is zamane se bewafa.
Ek hi guzarish hai tujhse mere khuda, kahin koi chamtkar na kar dena.-
ज़हन में मौजूद हो हर लम्हा, कुछ इन ख़ुशी के मौक़ों पे ज़्यादा याद करते हैं।
उलझने तो साथ निभाती रहेंगी मगर साथ में उलझने ना हो ये फ़रियाद करते हैं।
सलामत और ख़ैरियत से रहो बस हम यही दुआ करते हैं, कुछ इन ख़ुशी के मौक़ों पे ज़्यादा याद करते हैं।-
खुश्बू से बन के फैलो इस जहां में। यादें ख़ुश्बू से ताज़ा होती हैं।
फूल तो बस चंद दिनों के मेहमान हैं।-
ख़फ़ा क्यूँ हो उस मलिक से, क्यूँ उसको कोसते हो।
क्यूँ दोष देते हो और क्यूँ ईमान तोड़ते हो अपना।
क्या तुम्हें कोई मंसूबा दे के भेजा था उसने?-
ख़्वाबों के जंजाल में विश्वास की चादर ओढ़े आगे बड़ते चलो।
रौशनी की किरण ही तुम्हारी मंज़िल है-
ख़्यालों की उधेड़ बुन व्याकुल करती है, हम बड़े ही क्यों हुए बेफिक्रे ही अच्छे थे।
क़िस्मत को कोसते नहीं थे हर पल को जीते थे, हम बड़े ही क्यों हुए बेफिक्रे ही अच्छे थे।
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दोष का क्या, वो तो सब की ज़ुबान पे बिकता है।
बस फ़र्क़ इतना है के देना सब चाहते है पर लेना कोई नहीं।-
लिहाज़ का मुखौटा ओढ़े, आबरू बे आब रखती है।
वो प्यासी तो है पनघट की, मगर प्याले से मुतमइन रहती है।
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