"शशांक"_ भारद्वाज   (विराज...)
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Joined 17 September 2019


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Joined 17 September 2019

नहीं मैं खेलता होली तुम्हारे रंग गुलालों से ,,
मैं तो मदमस्त रहता हूं प्रिय तेरे ख़्यालों से ,,हरे ये नीले, लाल, ग़ुलाबी पीले ये रंग बेमाने उतर जाते हैं ये रंग पड़ते ही तनिक पानी चढ़ा रंग प्रेम का तेरे बहुत पक्का बहुत चोखा भले तू मार दे या छोड़ दे ..दे दे मुझे धोखा मैं तेरा था मैं तेरा हूं कल की बात बेमानी तेरी तब भी नहीं मानी तेरी अब भी नहीं मानी..!!

शशांक भारद्वाज...

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मैं एक सबल नारी हूं, संसार को रचती हूं,
परिवार को चलाती हूं, भेद-भाव संघर्ष झेलती हूं,
फिर भी उभरती हूं , हर एक रिश्ता निभाती हूं।
बेटी, बहन, सखी, पत्नी, मां हूं, शक्ति हूं भक्तों की भक्ति हूं,,
टूटे हारे दिल की आस हूं, सेवा भाव रखती हूं,,
पूरे घर को संभालती हूं, हर किसी का ख़्याल रखती हूं।
घर की जान हूं, परिवार की पहचान हूं,
दुःख का सहारा हूं, दर्द का मरहम हूं,,
कमज़ोर नहीं हूं, नारी हूं मैं नारी हूं..!!

शशांक भारद्वाज...

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जय शिव शंकर जय महेश... जय हो भोले त्रिपुरारी,,
जय महाकाल जय नागेश्वर जय हो... भोले भंडारी।।
जय विशधारी जटाधारी... जय शिवाप्रिय जय कामारी,,
जय जय जय जय जय शिव... शम्भू चरण वंदना करूं तुम्हारी।।
तुम मृत्युंजय तुम सूक्ष्मतनु हो... तुम ही रूद्र तुम जगद्गुरु हो,,
कालों के तुम काल कहाते काल भी... तुमसे थर-थर काँपे।।
भस्म से शोभित अंग... तुम्हारा हाथ में डमरू डम-डम बाजे,,
कृपा करो हे! त्रयीमूर्ति तुम बिल्वपत्र से... तुमको साजे।।

शशांक भारद्वाज...

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मुद्दतों बाद हुआ था... मुझे भरोसा किसी पर
फ़िर से ये साबित हुआ कि कोई भरोसे के काबिल नहीं होता..!!

- शशांक भारद्वाज...

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फूलों की तरह बेबस है... हम भी जनाब,,
कभी क़िस्मत से टूट जाते हैं ,कभी लोग तोड़ जाते हैं..!!

शशांक भारद्वाज...

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सतरंगी उजाले हैं, अंशुमन ने डाले हैं,, चंग थाप ढोल संग, झूमे मन मोर है ।। अंतस के अन्तद्वंद, स्वाहा करो व्यर्थ फंद,, होलिका दहन हो तो, आनंद विभोर है ।।
प्रहलाद सत्य एक, हरि नाम लियो नेक,, हिरण्यकश्यप अंत, खुशी चहुं ओर है ।। आनंद उल्लास रहे, उमंग तरंग रहे,, फाग घुले मधु रंग, रंगभरी भोर है...!!

- शशांक भारद्वाज...

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रिश्तें वो नहीं होते जिसमें साथ हो मुलाक़ात ,हो रोज़ बात हो ,बल्कि रिश्तें वो होते है जिसमें चाहे जितनी दूरियां हो लेकिन दिल में उनका एक अलग मुकाम हो..!! अगर रिश्तों में प्यार, विश्वास और समझदारी है..!!
तो इन्हें निभाने के लिए वचन, कसम, और शर्तों की कोई ज़रूरत नहीं है !!

- शशांक भारद्वाज...

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मंज़िल-मंज़िल बढ़ता जाऊं ,, ख़ुद को खो कर तुझको पाऊं तू दरिया मैं इक कतरा हूं ,, तू जलवा मैं इक साया हूं ..सांसो में आ जाने वाले ,, सब पर कर्म फ़रमाने वाले ..चारों तरफ़ लगता है यूं ,, जैसे क़यामत का आलम ...फ़ज़ल तेरा हम पर ए-मालिक ,, फ़रमा मिट जाए हर ग़म ..हम पर कर्म फ़रमाने वाले ,, ख़ाली दामन भरने वाले ..तू ही इज़्ज़त देना वाला ,, तू ही ज़िल्लत देने वाला ..!! तेरी ही यादों में रहूं मैं ,, तेरा ही नाम लिया करूं मैं ..
"ए-मालिक तू सबके दिल में नूर भर दे"...जलवा दिखा कर मस्त-मस्त कर दे
"तेरी शान आली है हे मेरे मालिक" मिटे मेरे दिल से न तेरी आरज़ू ..!!
- शशांक भारद्वाज...

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प्रेम-प्रेम सब कोई कहे ,, प्रेम न जाने कोई ,,
जाने जो सच्चे प्रेम को ,, तो जुदा रहे न कोई ,,
प्रेम बिना पावें नहीं हुनर कर हज़ार कहे .. प्रीतम प्रेम बिना मिले नहीं नन्द कुमार ..!!

-शशांक भारद्वाज...

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किसी को इतना भी मत चाहो... कि भुला न सको ,,
क्योंकि ज़िंदगी, इंसान, और मोहब्बत ... तीनों बेवफ़ा है ..!!


- शशांक भारद्वाज...

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