शशांक अरुणा शर्मा   (✍शShAnक)
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Joined 18 April 2020


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Joined 18 April 2020

काश कोई रात सुहानी होती
हमारी इस कदर
हम भी सोते सुकू से
पहलु मैं उसके रखकर सर
उसके आंचल की छांव में
और दुपट्टे की बिजली में
तारे टिमटिमाते हुए देखकर

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अगर मिला वक्त तो मैं तेरी जुल्फे भी सुलझा दूंगा,
अभी तो मैं मसरूफ हूं वक्त को सुलझाने में।

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सब्र है कि हम फिर मिलेंगे...
कब ? कहां ? कैसे ? ये मालूम नही....

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तुम तन्हाइयों में हो तो ले आना ख्याल मेरा
हम तो भीड़ में भी तेरा ही ख्याल रखते हैं

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मेरी खामोशियों में एक राज़ है
थोड़ा समझने की कोशिश तो कर

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लिखूं या ना लिखूं तेरा नाम क्या फर्क पड़ता है
जर्रे जर्रे को पता है मेरी मोहब्बत कौन है
❤️❤️❤️

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मन में ना रहे कोई टीस
मुबारक हो आपको 2025

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प्यार मे उसकी खाई हुई मेरी झूठी कसमें
अब मुझे अक्सर बीमार करती हैं

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थोड़ी नादानियां तो है मुझ में
पर मुझमे कोई मक्कारी नहीं
स्वाभिमानी तो बहुत हु मै
पर हां मै अहंकारी नहीं
परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो
मैं लड़ता हूं उनसे
मै कभी मैदान मे हारा नहीं
दर्पण सा है व्यक्तित्व मेरा
मुझमे कोई अदाकारी नहीं

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एक रोज वो हमसे मिले
पूछा और कहां हो
तो हस के हमने उनसे कहा

"हम तो तुम्हारे ख्यालों में खोए हुए थे
तुम बताओ तुम कहां मसरूफ थे"

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