shruti shukla   (shruti shukla)
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Joined 27 April 2020


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Joined 27 April 2020
9 MAY 2023 AT 12:32

सवाल है क्या उनको, मुझे खोने से फर्क पड़ेगा?

जिनको मेरे होने ना होने से फर्क नही पड़ता
जिनको मेरे रोने से फर्क नही पड़ता
जिसको मेरे टूटने से फर्क नही पड़ता
जिसको मेरे रूठने से फर्क नही पड़ता
सवाल है क्या उनको, मुझे खोने से फर्क पड़ेगा?

जिनको मेरे गिर जाने से फर्क नही पड़ता
जिनको मेरे बिखर जाने से फर्क नही पड़ता
जिनको मेरे सवर जाने से फर्क नही पड़ता
जिनको मेरे उनके जैसे ढल जाने से फर्क नही पड़ता
सवाल है क्या उनको, मुझे खोने से फर्क पड़ेगा?

जिनको मेरे अकेले रह जाने से फर्क नहीं पड़ता
जिनको मेरे गलत सह जाने से फर्क नहीं पड़ता
जिनको मेरे कुछ ना कह पाने से फर्क नही पड़ता
जिनको मेरे विश्वास टूट जाने से फर्क नहीं पड़ता
सवाल है क्या उनको, मुझे खोने से फर्क पड़ेगा?

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24 DEC 2022 AT 23:09

काश के वो बचपन एक बार फिर आ जाये
बेसब्री से पापा के घर आने का, इंतजार किया जाये
हम जो भी मांगे , वो हमें बिन कहे ही मिल जाये
आज फिर से मेरे पापा,मेरे सेंटा बन जाये
हमारी ख़ुशीयों से,घर खिलखिला जाये
काश के वो बचपन एक बार फिर आ जाये!!

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16 JUL 2022 AT 21:24

क्या ख्वाब, मुकम्मल हुए?
या अभी भी रातों मे जागता है
क्या मन को, सुकून हुआ?
या अभी भी कही भागता है
क्या उस शहर मे, बारिश हुई?
या बादल आ कर यूँही चला जाता है
क्या अब कभी,अकेले मे रोना हुआ?
या अब भी मुस्कान का नकाब दिखाता है

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12 MAR 2022 AT 0:16

सपने पूरे करे तो,अपनों का साथ छूठ जाता है
अपनों का साथ चुने,तो ख्वाहिशों से वास्ता टूट जाता है
अजीब से रिश्ते है, एक को मनाऊ तो एक रूठ जाता है
मन ख़फ़ा हो कर खुद से ही, अक़्सर सबके आगे झुक जाता है!!

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7 MAR 2022 AT 23:29

चंचल हवाओं सी बहने वाली, क्यों अपना रुख मोड़े?
तितलीयों सी उड़ने वाली, क्यों अपने पंखो को तोड़े?
अपनी सोच रखने के लिए,क्यों वो समाज का सोचे?
जिस से अस्तित्व है सबका,क्यों वो बेखौफ़ ना घूमें?
उसके घुंघट से ही क्यों,उसके संस्कारों को आंके?
सबका मन रखने वाली, क्यों अपने मन को मारे?
जिम्मेदारीयों के नाम पर,क्यों अपनी आजादी भूले?
मर्यादा के नाम पर, क्यों वो अपने सपनों को छोड़े?


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22 JAN 2022 AT 23:55

बाते होने पर भी, कुछ बाते अधूरी सी रहती है
लबों पर ख़ामोशी, और दिल मे बैचैनी रहती है
कोशिश होती है की वो बिन बताये समझें हाल मेरा,मगर
"कुछ नही"...."युहीं"...."फिर कभी"...,पर बात अटकी रहती है!!!

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12 JAN 2022 AT 22:43

मिलने का इंतजार हो
थोड़ी सी तकरार हो
रूठने की अदा हो
तो मनाने का हुनर हो
हाथो की लखीरों मे,तेरा नाम हो
तुम से ही फिर इजहार हो
बस मैं तुम और ढ़ेर सारी बात हो ||||

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12 JAN 2022 AT 22:40


रिश्ता मोह से बंधा हो
तो रिश्ता प्यार का हो
प्रीत ऐसे सच्ची हो
की बिल्कुल राधे-श्याम हो
रंगों की चमक हो
ज़िन्दगी मे बहार हो
बस मैं तुम और ढ़ेर सारी बात हो....

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12 JAN 2022 AT 22:37

आँखो मे आंसू हो
पर होठो पे मुस्कान हो
तुम्हारे कांधे पर सर हो
कुछ ऐसे सुकून साथ हो
प्यार अपना सच्चा हो
और रिमझिम बरसात हो
बस मैं तुम और ढ़ेर सारी बात हो....

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12 JAN 2022 AT 22:33

चांदनी सी रात हो
तेरा-मेरा साथ हो
सपनों की शुरुआत हो
मुकम्मल हर ख्वाब हो
हाथों मे हाथ हो
दिल के सारे अरमान हो
बस मैं तुम और ढ़ेर सारी बात हो...

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