बीत गए साथ तुम्हारे
कितने लम्हे कितने साल?
मिलें थे उस बचपन में
जब ना समझी की थी बात
धीरे-धीरे बढ़ती गई
दोस्ती मुलाकातो की हाथ
बचपन की मीठी यादों में
एक लड़की दिवानी सी
गिद्ध जैसा निशाना साधे
बैठी थी राह देख तुम्हारा
बेबाक सी मैं शरमाया करती
मैं तुमसे ना मिला करतीं
कई मुस्कुराहटों के पीछे छुपाया था दर्द अपना
तुम्हें मिलाने की कोशिश में
जान लगा दी थी अपना
कई सालों तक चलता रहा
यह झगड़ा किस्सा पुराना
हां ना के चक्कर में तुम अड़े रहे खड़े रहे
भीड़ से निकलकर दिलों में मोहब्बत जगाई
ख्वाबों में खोई वो रानी सी थी
कर्तव्यों को निभाना उसकी जिन्दगानी सी थी
कभी रोती कभी संभलती
चेहरे से वो मुसकुराती सी थी
उदास मौन रिश्तों को अपनाने का ज़िद उसका पुराना सा था।
एक अरसे के बाद आया मुझे करार
हम दोनो क्यूं है खफा एक दूसरे से
वो मुझे बता रहा था समझा रहा था
दर्द लिए दिल में छुपा रहा था
आंखों में दिखीं मोहब्बत उसकी बेइंतहा बेहिसाब!
मिलने की बेसब्री उसे सताया करतीं थीं
अचानक देख राह में वो गुनगुनाया करता था
ऐसे ही चलता रहा सालों-साल हमारा किस्सा
इस राह में कभी लड़ाईयां हुईं तो
कभी मुश्किलों का सामना हुआ
कभी छुपा लेते गम दिल में तो
कभी सारे जग को ये खुशियां बताने का मन करता
ऐसे ही चलता रहे मोहब्बत का हमारा किस्सा दूं तुझे ज़िन्दगी की सारी खुशियां जिसे जीने का दिल तुम्हारा करता।
-----part 1--
-