जब देवता पुराने हो गए तो वो भी निकाले गए
मूर्ति कहीं से चटकी तो पेड़ो के नीचे डाले गए
तुम किस भ्रम में खुद को कोस रहे?
किसी के दिल में अपनी जगह खोज रहे?
लोग दुकान पर जाते है
कई सौ मूर्ति में से एक ही पसंद कर के लाते है
उसे कुछ दिन घरों में सजाते है
उसकी पूजा उसकी आरती में कई गीत गाते है
फिर एक दिन उसे पुराना कहकर गंगा में दे आते है
या यूंही कही पेड़ों के नीचे रख जाते है
वो तो भगवान है
उसका एक ही रूप है
फिर भी लोग उसे अलग अलग आकार में चाहते है
तुम इंसान हो
तुम्हें कैसे कोई जवाब देगा?
कितने देवता बन जाओ जिसे पुराने लगने लगे
वो दिल से निकाल देगा
मत पालो कोई भ्रम इस मायावी दुनिया में
तुम्हें लगेगा तुम उसके घर में आ गए
अरे वो ही तुम्हें एक दिन
अपने घर से निकाल देगा!
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