तेरे जाने के बाद...
तेरे नाम का शोर....
पता चलता है
तुम शख्सियत क्या थे।
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जिसने इस विश्व की नींव रखी।
शिव की डमरू झनकार भरी,
मैं "श्रुति" बन... read more
पृथ्वी तेरी पीड़ा भी कितनी असहनीय होती होगी,
जब तेरे ही गोद मे तेरी बेटियों की आबरू लुटती होगी।
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ना कागज़ पे कोई कलम चल रही है
हमारी कहानी कहाँ बुन रही है।
ना जख्मों पर कोई दवा लग रही है
हमारी उम्मीदें अब दम तोड़ रही है।
ना दिल की किसी को तड़प दिख रही है
हमारी भी महफ़िल कहाँ सज रही है।
ना बातों से मन को सुकूँ मिल रहा है
हमारा भी सब्र अब टूटता जा रहा है।
ना रोया ही ना मुस्कुराया जा रहा है
एक उसकी ही सुध में जिया जा रहा है।
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I keep a distance from all such great people who proudly say that they never lie. Because people who say the same often pull the ground under their feet.
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सम्पूर्ण वातावरण संगीतबद्ध,लयबद्ध।
पूरे भारत का ये संगीत आत्मा और कानों को इतना सुकून दे रहा था जैसे साक्षात सरस्वती धरती पर अपने वाद्य बजा रही हों और पूरा संसार उन्हें सुन रहा हो।
वाह....इतना सुरीला संगीत कभी नही सुना था।शरीर का एक एक तार घण्टियों,शंखनादों से इतना आनंदित और मंत्रमुग्ध हो रहा था....इसीलिए तो हमारे भारत को ऋषि मुनियों और वेदों का देश कहा जाता है।इस पांच मिनट के सुरीले क्षण से ऋषि मुनियों वाले प्राचीन युग की कल्पना की जा सकती है कि हमारा भारत उस काल मे कैसा और कितना रोचक रहा होगा।❤️🇮🇳-
मुण्डमाल आ भस्म रमउने वर देखि के मैना भेलि दंग!
केना सौंपती अपन गौरा के जे छथि हुनकर हृदय अंग!
पर नयन झुकेने हिय मुस्काइत शिवप्रिया सोचथि,
भेल पूर्ण तपस्या जयमाल पहिर शिव सम्मुख छैथ संग।-
कुछ ख्वाहिशें कुछ सपने...
मन से निकलकर आती है,
एक कलम की नींव पर,
एक कोरे कागज पर,
और चल पड़ती है....
स्याही के साथ सफर पर,
और रुक जाती है...
एक अंतहीन पूर्णविराम के साथ।
और रच जाती है एक अभिव्यक्ति...
सुनी जाती है शोर अपनी आह! की
एक मीठी सी मुस्कुराहटों के साथ,
कभी तालियों की बौछाड़ से...
तो कभी वाहवाही के वाह! से।
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मेरी शहादत को भले तुम याद मत रखना
ग़र हो सके तो मेरी एक फरियाद सुन लेना
आये जो कोई आँच मेरे वतन पर तो....
भगवा,हरा को भूल कर मेरा ध्वज बचा लेना।
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मोहब्बत जिससे सीखी है उसे पैग़ाम दे आती हूँ,
जरा रुको! मैं अपनी माँ को एक गुलाब दे आती हूँ।
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