Shruti Choudhary   (श्रुति चौधरी "मीमांसा")
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Joined 17 June 2017


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16 OCT 2021 AT 12:37

जहाँ तुम्हें देखने भर से सुकूँ मिल जाता है
वहाँ तेरी नामौजूदगी सीधा क़त्ल करती है।

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8 OCT 2021 AT 15:00

श्रुति चौधरी 'मीमांसा'

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11 SEP 2021 AT 14:58

अरसा हुआ ज़िंदगी को तन्हा छोड़े,
तुमसे नज़र हटे तो ज़रा बात बने।

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24 JUN 2021 AT 11:27

मैं जनककुल राजकुमारी
चली संग साजन ससुरारी
जनक हमारे देख रहे हैं
नयन से आँसू पोछ रहे हैं।
सोच रहे बाबुल की प्यारी
एक पल में हो चली पराई
देकर संस्कारों की दुहाई
माँ पोटली चावल भर लाई
पूछा हमने माँ ये क्या तुम देती
बोली दोनों कुल की लाज है बेटी।

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30 APR 2019 AT 16:13

एक दशक से...
घर से बाहर बहुत दूर सूखे दरख़्त पर,
अचानक गुलमोहर का खिलना...
मानो रच रहा था!
मेरे तुम्हारे प्रेम का....
"क्षितिज"।

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26 MAR 2019 AT 9:28

अब तक के जीवनकाल में
मेरे हिस्से हमेशा
दुर्गम राह और जटिल कार्य आये हैं
तभी तो ...
मैंने चुना "प्रेम" को

... आदतन !

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31 DEC 2017 AT 16:19

तुम वही हो जिसकी तलाश थी दिल को🙇
तुम वही हो जैसे की आस थी दिल को👩‍🎨
और यूँ पूरे हुए हम..!!💑
अधूरे होकर भी जैसे पूर्ण संगम।❤️

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9 AUG 2017 AT 14:09

हमने कहा कुछ तो बदलाव लाओ!
अरसों वे बदले भी इस क़दर कि..
हमें ही अनदेखा कर हमसे मुख़ातिब हुए।

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4 AUG 2017 AT 19:38

मैं, तुम और ये कैसा प्रेम!

कितनी ही बेवाकी से कह दिया तुमने,!
नहीं दूँगा अपने रिश्ते को नाम किसी के भी पास,
अगर हम एक ना हो सके तो तुम और जी नही पाओगी!
समाज के ताने बाने से बदनामी हो जायेगी |
एक बार भी तुमने ये नही सोचा....!!!

Continue.....
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30 JUL 2017 AT 2:37

प्रेम ही तो किया था मैंने,
अपराध तो नही था!!
..............................
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