जहाँ तुम्हें देखने भर से सुकूँ मिल जाता है
वहाँ तेरी नामौजूदगी सीधा क़त्ल करती है।-
जिसने इस विश्व की नींव रखी।
शिव की डमरू झनकार भरी,
मैं "श्रुति" बन... read more
अरसा हुआ ज़िंदगी को तन्हा छोड़े,
तुमसे नज़र हटे तो ज़रा बात बने।-
मैं जनककुल राजकुमारी
चली संग साजन ससुरारी
जनक हमारे देख रहे हैं
नयन से आँसू पोछ रहे हैं।
सोच रहे बाबुल की प्यारी
एक पल में हो चली पराई
देकर संस्कारों की दुहाई
माँ पोटली चावल भर लाई
पूछा हमने माँ ये क्या तुम देती
बोली दोनों कुल की लाज है बेटी।-
एक दशक से...
घर से बाहर बहुत दूर सूखे दरख़्त पर,
अचानक गुलमोहर का खिलना...
मानो रच रहा था!
मेरे तुम्हारे प्रेम का....
"क्षितिज"।
-
अब तक के जीवनकाल में
मेरे हिस्से हमेशा
दुर्गम राह और जटिल कार्य आये हैं
तभी तो ...
मैंने चुना "प्रेम" को
... आदतन !
-
तुम वही हो जिसकी तलाश थी दिल को🙇
तुम वही हो जैसे की आस थी दिल को👩🎨
और यूँ पूरे हुए हम..!!💑
अधूरे होकर भी जैसे पूर्ण संगम।❤️-
उनपर नजर टिका कर किसी ने हमसे पूछा!
ये उनके होंठो के पास तिल है क्या?
हमने मुस्कुरा कर नजरें झुका ली।
सोचा कह दूं .... अरे!नही!!!!
ये तो उनकी वफ़ा को देखकर,
एक सितारे ने हमसे हमारी काजल की रंगत चुरा ली।
-
हमने कहा कुछ तो बदलाव लाओ!
अरसों वे बदले भी इस क़दर कि..
हमें ही अनदेखा कर हमसे मुख़ातिब हुए।
-
मैं, तुम और ये कैसा प्रेम!
कितनी ही बेवाकी से कह दिया तुमने,!
नहीं दूँगा अपने रिश्ते को नाम किसी के भी पास,
अगर हम एक ना हो सके तो तुम और जी नही पाओगी!
समाज के ताने बाने से बदनामी हो जायेगी |
एक बार भी तुमने ये नही सोचा....!!!
Continue.....
👇
Read in caption
-