ShrUshti Pethe   (✍सृshti_♥️)
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Joined 30 July 2017


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Joined 30 July 2017
10 JAN 2023 AT 23:58

देखा है बिखर कर मैने।
के दिल केहता है, सुकून की अब तलाश ना कर ।
छिड़ी है जो जंग खुदी से, के खुद को इस जंग से तू रिहा ना कर ।
बेखुदी मे ना कर तू प्रीत किसी से,
के दर्द बोहोत है, फक्त इसमें इज़ाफ़ा ना कर ।
बेबस, बेमकसद रहना खुद की इनायत तो नही,
के अब फिर तू किसी की इबादत ना कर ।

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16 MAY 2022 AT 19:29

Show me your night's, days are already so bright...
Show me your tears, show me you are not alright...
Show me how depression fucks you every night,
Tell me those stuff, you can't share with whole world..
Show me that pain, you hide behind your smile..
Show me your nights, bcoz baby...
Day's are already soo bright.

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28 NOV 2021 AT 20:01

कलम उठाते ही अल्फाज़ थम जाते है,
अहसासो में जंजीरे बंध सी जाती है !
अगर लफ्ज़ जम गए तो ज़ुबान क्या होगी ?
हुनर चले गया तो मेरी पहचान क्या होगी ?

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1 NOV 2021 AT 22:28

कभी कभी मंजिलें बीछी होती है रास्तों के भेष मे !
फक्त सफर करते रहना ही मुकाम होता है !!

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4 OCT 2021 AT 20:10

कोइ इतना नही टूटता की खुद को समेट ना सके !
और कुछ तो इस क़दर टूटते है के बिखर भी नहीं सकते !!

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3 OCT 2021 AT 10:29

कुछ बेमतलब की बाते और उन अनकही बातो के बीच,
जो सबकुछ रह गया वो इश्क़ तो नहीं !
मुकद्दर मे तू हो और हासिल भी नहीं,
ऐसा भी कुछ गुनाह शायद मोहोब्बते ही थी !!

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18 APR 2021 AT 22:08

अक्सर शब्दों को रूठते देखा है खयालातों से !
ज़ुबान को बिगड़ते देखा है जज्बातों पे !!
ना ढूंढ तू जवाब, सवाल कई उलझे है !
अमूमन जिदंगी के कुछ किस्से फक्त बिखरने के ही हिस्से है !!

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19 MAR 2021 AT 21:09

झुकी उन आंखों मे दबा एक किस्सा ज़रूर था,
अंदर आँसू छुपे थे, और दिखता गुरुर था।

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4 JAN 2021 AT 23:34

हर शाम सुलगती तेरी यादें चाय के साथ राख हुआ करती है !
कुछ बैचेन करती बाते अलाव की तपिश मे जला करती है !!
अब तुझसे ना सही तेरी गुफ्तगू ठंडे चांद से करते हैं !
फिर होले से रात मुझे उसके आगोश में सुलाया करती है !!

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30 NOV 2020 AT 23:12

कुछ तो अलग है हम दोनों मे..
उसे ढलता हुआ सूरज पसंद है, और मुझे स्याह काली रात का चांद !
मैं जोगन उसकी बातो की, वो खुदको मेरी कविताओं का तलबगार कहता है !!

कुछ तो अलग है हम दोनों मे...
मुझे समंदर का किनारा पसंद है, और उसे मेरे अल्फ़ाजो की गहराई !
मैं कोसो दूर हूं इश्क़ से, वो मुझको उसका हमसफ़र कहता है !!

कुछ कुछ तो हम दोनों ही अलग है...
मैं विचलित किसी तितली सी, वो सुकून भरा नज़ारा है !!

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