Shristy Priya   (Aysha)
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Joined 24 January 2025


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19 JUN AT 20:51

मैंने सुकून को ढूंढ़ा हर मोड़, हर राह में,
भीड़ में, तन्हाई में, हर एक निगाह में।
न पाया चैन उस दुनिया की रौनक में कहीं,
जब झांका खुद के अंदर… तो वो ही मिला यहीं।

थी जो तलाश बाहरी, वो असल में थी अंदर,
खुद से मिलने का वक़्त ना मिला इस सफ़र में अक्सर।
अब जाना है सुकून क्या — ये कोई मंज़िल नहीं,
ये तो एक एहसास है… जो बसता है "मैं" में ही कहीं।

अब जब भी दिल बेचैन हो, या लगे सब खो गया,
एक पल को खुद से मिलो, देखो क्या क्या बो गया।
शोर से नहीं, ख़ामोशी से मिलती है राहत,
सुकून की चाबी है — खुद की ही सोहबत।

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9 JUN AT 18:41

कभी रंग भरता था मैं दीवारों पर,
आज दिल के कैनवस पर भी डर के साए हैं।

कभी चांद को अपना दोस्त मानता था,
अब तारों से भी उम्मीदें रखना बचपना कहलाता है।

कहा गया — ‘बड़े हो जाओ’,
पर किसी ने नहीं बताया कि बड़ा होते-होते
कितना कुछ खो बैठते हैं!

हंसी अब मीम्स में ढूंढनी पड़ती है,
और सुकून... ब्रेकअप सॉन्ग्स में।

अब न मासूमियत बाकी है, न सवाल करने की आज़ादी,
बस एक चेहरा है — जो हर दिन नए चेहरे पहनता है।

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19 MAY AT 13:01

Sometimes, we fight in silence — alone, against the monsters that hunt us from the shadows, and those that whisper from within.

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6 MAY AT 3:02

बारिश जब गिरती है, तो सिर्फ़ ज़मीन नहीं भीगती,
कुछ टूटे हुए ख्वाब भी पलकों से गिरते हैं।
ये रिमझिम बूँदें जो सन्नाटे में टपकती हैं,
हर बूँद में एक अधूरी दास्तां छिपती है।

बादलों का रोना, यूँ बेवजह नहीं होता,
कहीं कोई दिल, आवाज़ दिए बिन टूटता है।
ये भीगी हवाएँ जब चेहरे से टकराती हैं,
तो कुछ पुरानी साँसे फिर से जी उठती हैं।

कभी तुम थे इस मौसम में, बिल्कुल पास,
उँगलियाँ थामे, ख़ामोशियों को बाँटते हुए।
आज भी वही बारिश है, वही ठंडी बूंदें,
बस अब छतरी भी है… और तन्हाई भी।

कुछ अधूरे अल्फ़ाज़ हर कोने से टकराते हैं,
"रुक जाओ" कहने को, पर लब भीग चुके हैं।
अब ये बारिश ही तुम्हारा जवाब लगती है,
जो हर साल आती है… मगर तुम नहीं।

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3 MAY AT 18:10

She cursed the world with trembling hands,
Not out of hate, but because it never heard.
A thousand screams wrapped in silence,
But the world only praised her quietness like a virtue.

She cursed the world for making her wear masks,
Smiling when her soul was falling apart.
They loved her strength but mocked her scars,
Fed on her pain and called it “art.”

She cursed the world for its golden lies,
Where love is a trade and truth is blurred.
Where healing is demanded, but space is denied,
And broken hearts are told to “move on” unheard.

She cursed the world, then walked away,
Not bitter — just done with pretending grace.
Her silence now speaks louder than any storm,
A curse not of fire, but of a soul erased.

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3 MAY AT 18:04

वाह! क्या बात है — सबके चेहरे ऐसे चमकते हैं जैसे ज़िंदगी ने कोई bonus दे दिया हो।
“मैं बहुत खुश हूँ” वाली हँसी अब तो रोज़ की यूनिफॉर्म बन गई है।
अंदर कुछ भी जले, बाहर बस स्माइल ON रखो — यही तो success है न?

अब दुखी दिखोगे तो लोग कहेंगे, “कितना negative सोचते हो यार!”
तो हमने भी सीख लिया — दर्द stylish बना लो, और आंसुओं को memes में छिपा दो।
क्योंकि आजकल जो सबसे ज़्यादा टूटे हैं, वही तो सबसे ज़्यादा "inspiring" लगते हैं।

असल में तो खुद से मिलने का वक़्त ही कहाँ है,
चेहरे इतने बदल लिए हैं कि आइना भी पूछता है, "भाई, तू है कौन?"
पर हाँ, मुखौटा मत उतारना... वरना दुनिया तुम्हें ‘कमज़ोर’ कहेगी — और वो तो सबसे बड़ा पाप है।

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3 MAY AT 15:41

This world is full of irony, masked in grand design,
We seek peace in chaos, yet ignore the sign.
The pure are tested, the wicked are crowned,
Truth gets buried while lies resound.
We crave connection, yet build a wall,
Rise to power, only to fall.
Kind hearts bleed in a world so numb,
Songs of justice go unheard, unsung.
Smiles are painted on faces that cry,
Dreams are nurtured just to die.
We chase forever, yet break what's real,
Laugh through pain we’re told not to feel.
The more we know, the less we see—
In the mirror stares our enemy.
Hope begs softly on silent streets,
While ego in gold chariots beats.
And still we march, blind and brave,
Digging our joy into a grave.

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2 MAY AT 21:25

"मैं थी, मैं हूँ"

रात थी गहरी, पर मैं अकेली नहीं थी,
दिल तो टूटा था, पर मैं कमजोर नहीं थी।
वो सवाल था जिसका जवाब दर्द था,
पर उस दर्द में भी, मैं खुद की साथी थी।

उसने कहा, 'तुम जैसी लड़कियां समझ नहीं आतीं'
पर उसने कब समझने की कोशिश की थी?
मैं उन राहों की मुसाफिर हूँ जहां दिल से बात होती है,
ना तस्वीर से, ना प्रोफाइल से, सिर्फ सच्चाई की औकात होती है।

अब ना कोई प्रूफ चाहिए, ना किसी का विश्वास,
जो मुझे समझे, उसका हूँ मैं पास।
चली थी मैं एक ख्वाब के पीछे, हां, गिर गई थी,
पर उठ के खुद से कहा — मैं थी, मैं हूँ… और मैं ही काफी थी।

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2 MAY AT 21:18

In search of you, I unlearned time,
Clocks turned to dust, days lost their rhyme.
Your silence became my loudest sound,
In every breath, your absence I found.

In search of you, I drowned in me,
Each memory, an endless sea.
I tore through mirrors, broke through skin,
To find where you had always been.

In search of you, I met the void,
Where love was pure, yet self-destroyed.
And still I walk, with hope as pain,
That losing you… was never in vain.

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2 MAY AT 8:28

जब मैं नहीं हूंगा तो ये दुनिया कैसी होगी।
वही सुबह, वही शाम, वही बातें जैसी होगी।
हर कोना रोशन होगा अपनी ही एक रौशनी से,
कोई पूछे भी ना मुझको, फिर भी सब वैसी होगी।

ना मेरी ख़ामोशी रुकावट बनेगी हवाओं में,
ना कोई कमी महसूस होगी मुस्कुराती दुआओं में।
मैं था एक परछाईं सा, मिट गया धूप के साथ,
मगर ज़िंदगी चलेगी अपने ही रास्तों के रिवाज़ में।

मेरे होने का मतलब सिर्फ़ मेरी सोच तक था शायद,
यहां सब कुछ है पूरा, बस मेरे अलग होने का फ़र्ज़ है।
ना वक़्त झुकता है किसी एक चेहरे की वफ़ादारी पे,
ना यादें ठहर जाती हैं किसी एक दास्तां के मर्ज़ पे।

जब मैं नहीं हूंगा तो ये दुनिया वैसी ही रहेगी।
मैं गया हूं सिर्फ़ लम्हों से, ज़िंदगी अब भी कहेगी।
मेरे होने से ज़्यादा ज़रूरी थी दुनिया की रवानी,
मैं सिर्फ़ एक मुकाम था, पर सफ़र तो अब भी चलेगी।

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