Shriprakash Shukla कलमकार   (प्रकाश)
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Joined 28 May 2021


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Joined 28 May 2021

चाहे कुछ भी हो जाये बेहतर प्रयास जारी रहे,
जीवन में सतकर्म करो इज्जत बची तुम्हारी रहे,

ऊपर वाले से कुछ छिपा नहीं बनी खुद्दारी रहे,
अपने लिए जिए तो क्या जिए जीवन उपकारी रहे,

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जिसके होता है दर्द वही यहाँ रोता है,
दर्द को बेदर्द न जाने उनके दिल नहीं होता है,

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बाद में मत कहना हमसे शादी से पहले
तुमने बताया ही नहीं,
अभी बताये देता सत्ताईसवीं शादी है तुमसे
अजी रूठ न जाना कहीं,

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इश्क़ करके सीखा जिसने इश्क़ की गलियों में न जाना,
ये धीमा ज़हर है पल पल घुटे ज़िंदगी भर पड़े पछताना,

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दुनिया भूल जाती है जिसने जनम दिया है,
तुझे जीवन देकर उसने बुरा क्या किया है,

जहाँ भांवर पड़ें सबका बदल जाता हिया है,
कहते हैं लोग उन्होंने मुझे दिया ही क्या है,

जीवन के सुख सारे छोड़े तेरे आगे पीछे दौड़े,
जीवन देकर उन्होंने तुझसे लिया ही क्या है,

अपने सुख की खातिर तुमने उन्हें दर्द दिया है,
दुनिया भूल जाती है जिसने जनम दिया है,

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गैरोंं के संग घूमना मेरे दिल को न भााये
मेरा देश इण्डिया है विलायत नहीं है,

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सुनती हूँ बहुत भोला है तू नित जपती हूँ शिवशंकर,
तेरी जो भी करे आराधना उसे चुभे न कांटे कंकड़,

क्यों कष्ट नहीं हर लेता मेरा जीवन सुखमय हो जाये,
मुझ जैसे भक्तों पर तो अपना भोलापन दिखलाये,

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इस तरह मत हो उदास कहीं टूट न जाए आस,
ख़्वाहिश की तितली उड़ेगी करना पड़ेगा विश्वास,

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जहाँ भी हो अंधकार वहाँ प्रकाश आयेगा,
अधंकार प्रकाश देख के ही भाग जायेगा,

ज्ञान की आभा जड़ता के तम को मिटाएगी,
सद्बुद्धि से ज़िन्दगी भी चैन से कट जाएगी,

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तेरे बिन बड़ी मुश्किल से बीते दिन न बीते दर्द भरी ये रात,
न जइयो परदेश सजन मोहि नींद न आये जब रिमझिम हो बरसात,

देवर संग देवरानी रात में जब हंस हंस करेगी मीठी मीठी बात,
मेरे दिल में होगी धकधक सजन अब अकेले नहीं गुजरेंगी रात,

तेरी थोड़ी कमाई में मै बहुत ही खुश हूँ खा लूंगी नित दाल भात,
बारिश का महीना चलेगी पूरवइया तो कैसे बीतेगी सजन वो रात,

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