माँ-बाप से संस्कार ऐसे मिलने चाहिए कि कोई भी माँ-बाप अनाथ आश्रम में ना मिले ना ही कोई बच्ची कचरें के ढेर में पाई जाए बाकि जिंदगी में जीना तो वक्त सिखा ही देता है।
सभी जन्नत के लिए मंदिर गए मस्जिद गए और गए चर्च, गुरूद्वारा भी मैंने की मां बाप की सेवा तो मैंने जन्नत को देखा भी, जन्नत में रहा भी और जन्नत के साथ जी भी रहा हु❤️