अतीत
एक परछाई की तरह
कभी चलता रहता है पीछे
हमारी नज़रों से परे
और कभी आ जाता है अचानक ही सामने
धृष्टता से
जब हम उसे पूरी तरह
भूला चुके होते हैं ..
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25 FEB 2019 AT 19:44
अतीत
एक परछाई की तरह
कभी चलता रहता है पीछे
हमारी नज़रों से परे
और कभी आ जाता है अचानक ही सामने
धृष्टता से
जब हम उसे पूरी तरह
भूला चुके होते हैं ..
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