चल रही है हवा रूठने मनाने की।
किरदारों के बनकर टूट जाने की।।
हो रही है कोशिशें मिटने मिटाने की।
हर लम्हा जियूं या अंदर ही डूब जाने की।
-
Shrikant R. K Panday
(लfज़ों से परे...)
133 Followers · 29 Following
भले ही मेरी कोशिश नाकाम रही तुझे पाने की।
पर देख अब भी, अदा न गयी मुस्करानें की।।
Founder of... read more
पर देख अब भी, अदा न गयी मुस्करानें की।।
Founder of... read more
Joined 7 April 2018
18 FEB 2020 AT 14:03
6 MAY 2018 AT 10:57
मैंनें लाख कोशिशें की, पर टूटने न दिया ।
वो मेरे अपने थे, इसलिए रूठनें न दिया ।।-
9 JAN 2022 AT 14:15
थोड़ी कड़वाहट की ज़रूरी है मिज़ाज को मेरे।
बहुत सी आहुतियाँ दे चुका हूँ किरदार में मेरे।।-
1 JAN 2022 AT 10:33
मेरी चाहत का अजब ये सिला देता है वो ।
पूछता हूँ पता उससे, बातें बना देता है वो।।-
25 DEC 2021 AT 16:14
थक गया हूँ चलते चलते पर टूटने नहीं देती।
कुछ ज़िम्मेदारियाँ मुझे कभी रूठने नहीं देती।।-
6 DEC 2021 AT 20:36
बदल कर देखना कभी
किरदार अपनी कहानी में।
तुम्हें हर किरदार की अपनी
अहमियत पता चलेगी।।-
3 DEC 2021 AT 18:49
अगर शांत हैं तो बना रहने दो,
पत्थर जब मौन त्यागते हैं।
ज्वालामुखी बनकर फूटते हैं
या सुनामी बनकर उखड़ते हैं।।-
12 NOV 2021 AT 16:39
पांव में पाजेब भी पहन लिया करो तुम,
तुम्हारे कानों में बाली बहुत जचती है वो।-
12 NOV 2021 AT 16:18
बहुत रफ़्तार में चल रहीं धड़कने इस शहर की।
यहाँ हर दो क़दम पर यादों का इक गांव मिलता है।-