Shrikant R. K Panday   (लfज़ों से परे...)
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Joined 7 April 2018


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9 JAN 2022 AT 14:15

थोड़ी कड़वाहट की ज़रूरी है मिज़ाज को मेरे।
बहुत सी आहुतियाँ दे चुका हूँ किरदार में मेरे।।

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1 JAN 2022 AT 10:33

मेरी चाहत का अजब ये सिला देता है वो ।
पूछता हूँ पता उससे, बातें बना देता है वो।।

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25 DEC 2021 AT 16:14

थक गया हूँ चलते चलते पर टूटने नहीं देती।
कुछ ज़िम्मेदारियाँ मुझे कभी रूठने नहीं देती।।

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13 DEC 2021 AT 0:18

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6 DEC 2021 AT 20:36

बदल कर देखना कभी
किरदार अपनी कहानी में।
तुम्हें हर किरदार की अपनी
अहमियत पता चलेगी।।

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3 DEC 2021 AT 18:49

अगर शांत हैं तो बना रहने दो,
पत्थर जब मौन त्यागते हैं।
ज्वालामुखी बनकर फूटते हैं
या सुनामी बनकर उखड़ते हैं।।

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12 NOV 2021 AT 16:39

पांव में पाजेब भी पहन लिया करो तुम,
तुम्हारे कानों में बाली बहुत जचती है वो।

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12 NOV 2021 AT 16:18

बहुत रफ़्तार में चल रहीं धड़कने इस शहर की।
यहाँ हर दो क़दम पर यादों का इक गांव मिलता है।

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9 NOV 2021 AT 1:25

ज़रूर कोई ख़ता हुई होगी तुमसे,
यूँ ही कोई फूल, पत्थर न हुआ होगा।

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22 OCT 2021 AT 23:57

अगर थी मोहब्बत, तो वो चला ही क्यों गया।
अब चला गया है तो इतना मलाल क्यों है?
तुमने किया ही नहीं क़त्ल एतबार का उसके,
तो तुम्हारे दामन पे ख़ून का निशान क्यों है?

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