सुनो कल रात,
यहाँ बहुत भीड़ थी,
इतने सारे,
ख्यालों का आना-जाना,
तुम साथ नही थे,
तो सोया नही,
जैसे ही नींद आती,
सवाल घेर लेते मुझे,
फिर मैं चौक जाता,
मुझे छोड़,
जाया न करो तुम,
पास आओ ज़रा,
या पास ही रहो तुम।-
मुझसे ही बगावत करने लगे है,
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मेरे हर दर्द की गहराई से,
मेरे अक़्स मेरी परछाई से,
और मैं नहीं चाहता उसे खबर हो,
वो रहे अपनी ही दुनिया में,
बेखबर मुझसे मेरी तन्हाई से।।-
तेरे जाने के बाद कुछ कुछ बदल सा गया हूं मैं,
तुम अगर रास्ते बदल लेते तो मैं इतना नहीं बदलता,
बहारों के मौसम में देखो कैसी रुसवाई है फैली हुई,
तुम्हारे बिना जरा देखो कैसी तन्हाई है फैली हुई,
अंधेरे है इन चिरागों के तले देख लो तुम भी जरा,
तेरी यादों को रौशन करने को मै यूँ तो न जलता।-
लौट कर आएंगे तुम्हारे शहर में हम एक दिन,
तुमसे मिलने नही पर कुछ यादें है निशानी भी,
बस उन्हें ले जाना हैे अपने साथ दफ़्न करने।-
इश्क़ है तो ये कलाबाज़ी है,
बेपरवाह मैं पर ख़ुदा तो राज़ी है,
मुझसे वो मिलता जो नही है,
बड़ा बेसब्र हो रहा ये काज़ी है।।-
मुड़कर देखा नही था जिसने,
वो अब लौट आना चाहता है,
मैं मदमस्त हवाओ सा उनसे,
अब बहुत दूर निकल आया हूँ।।-
चट्टान है आगे पर हमारी हिम्मत बड़ी है,
मुश्किलों से आगे हमारी ज़िद्द खड़ी है।।
हम जीतने के लिए बने है उन्हें बता दो,
अब कोई मंजिल यहां मुश्किल नहीं हैं।।-
मुश्किल में है जिंदगी,
ख़्वाबों के सहारे है हम,
अजीब रास्ते है देखो,
बिन मंजिल चल रहे हम।।-
मेरी ज़िंदगी से किया कोई वादा हो तुम,
मुझमे मुझसे कहीं ज़्यादा हो तुम।।-