काला अक्षर भैंस बराबर । भागा बंदर दुम दबाकर....
काला अक्षर भैंस बराबर ।
सुनो बच्चों ध्यान लगाओ एक एक करके सब आ जाओ
सुनो मुझसे एक कहानी न समझो इसको बहुत पुरानी
एक था जंगल नदी किनारे जहाँ कोयल गाए शेर दहाड़े
खाना पीना घूमना फिरना करते हैं सब सांझ सवेरे
एक था जंगल नदी किनारे......
एक था बंदर नटखट मस्त कलंदर मार के डींगे पहुंच गया समंदर
नहाया धोया खेला कूदा
भूख लगी तो खूब पानी पिया पेड़ पे चढ़के फिर सोचा किया
मैं शहर में जाके खाऊँ खूब दूध मलाई बच्चों की तरह मैं भी करू खूब पढ़ाई
न करूँगा कभी भी मैं यहाँ लड़ाई
दाँत दबाके चल दिया वो स्कूल
लेकिन बस्ता रखना गया वो भूल
सबके आगे बैठ गया बंदर
पूछ दबाकर लेट गया बंदर
मेडम आई फिर पढ़ाने बंदर लगा उन्हें चिढ़ाने
मैडमजी ने डंडा उठाया बंदर का सर चकराया
बैठ गया वो एक जगह परमैडमजी ने फिर उसे पढ़ाया
लेकिन उसको कुछ भी समझ न आया
बोर्ड पे लिखा कुछ समझ न पाया
बोला बंदर जोर शोर से चिल्लाकर
काला अक्षर भैंस बराबर....
फिर भागा बंदर दुम दबाकर ।।
बच्चों पढ़ना लिखना है जरूरी
न आने देना तुम कोई मजबूरी
पढ़ लिखकर तुम बनोगे नवाब
वरना कहलाओगे तुम ख़राब ।।
- *श्रीदशकुसुम*
1 NOV 2019 AT 10:33