Shridhar Acharya   (Shridhar Acharya)
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Poet Writer Thinker
Joined 17 May 2017


Poet Writer Thinker
Joined 17 May 2017
15 JUL 2018 AT 1:03

थी कैद
बीच बादलों के,
निकली है आज
मचली- मचली-सी!
बहुत दिनों के बाद
धूप निकली है पगली,
तितली-सी........!!

श्रीधर आचार्य "शील"

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13 JUN 2018 AT 22:12

गुज़र रही यूँ ज़िन्दगी, काम काम बस काम

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4 JUN 2018 AT 22:59

हरी-भरी शाख़ों पर
लटके हुये मिलेंगे
मेरे अरमान!
पंख टूटे हैं तो क्या
मेरी आँखों में है
सारा आसमान

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26 MAY 2018 AT 14:09

पर ये क्या,तू तो बड़ा पत्थरदिल निकला..!

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24 MAY 2018 AT 14:36

जागता हूँ ,जब तलक
सिर्फ..
तुम्हें सोचता हूँ
तुम्हें देखता हूँ
महसूसता हूँ तुम्हें
ओ कविता!
इसलिये लिखता हूँ
मैं.. नींद में कविता...!!

श्रीधर आचार्य "शील"

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15 MAY 2018 AT 16:37

सूरज की आँखों में
बिखराकर
धूल!
साँझ ढले ..रजनी के
आँचल में
टाँक दिया है
किसने
ये सुन्दर
चाँद का फूल...!!

श्रीधर आचार्य "शील"



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1 MAY 2018 AT 7:51

इतिहास गवाह है....

पानीपत के प्रथम युद्ध में
इब्राहिम लोधी की सेना
बाबर से हारी!
भारत के राजाओं में थी
संगठन की लाचारी!
मुगल राज की शुरू हुई
राह है!..इतिहास गवाह है...!!


श्रीधर आचार्य "शील"

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30 APR 2018 AT 15:03

उत्तर-दक्षिण पूरब-पश्चिम,
मैंने घूमा भारत सारा
किन्तु कहीं पर चैन ना मिला,
पाया केवल अश्रु ही खारा
जग की देख विषमताओं को
मन मेरा जब क्षुब्ध हो गया
तन गोपा-सा पाया था पर,
जीवन गौतम बुद्ध हो गया.....

श्रीधर आचार्य "शील"

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27 APR 2018 AT 10:27

रही मोक्ष की सदा कामना, बता गये साधु-सन्यासी!
देर है पर अंधेर नही है मान रहे हम भारतवासी!
आस्थाओं से भरा हृदय है, यहीं है मथुरा यहीं है काशी!
काल अभी तुम!क्या कर लोगे,मेरा तो है मन विश्वासी!

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27 APR 2018 AT 10:13

ताल-तलैया सूख गये सब, तेज तपन की रीत लिखूँ।

पत्ता नही खड़कता दिखताक्यों मौसम को प्रीत लिखूँ।

लोग पड़े हैं दुबके घर में, लू पर सब की जीत लिखूँ,

बरस रहा अंगार धरा पर,ऐसे में क्या गीत लिखूँ।


श्रीधर आचार्य "शील"

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