Shri Ishaan   (Aham Bhrahmasmi)
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I am not the body , I am not the mind , I am pure consciousness , I am the freedom
Joined 6 September 2019


I am not the body , I am not the mind , I am pure consciousness , I am the freedom
Joined 6 September 2019
9 MAY 2023 AT 8:13

कभी कभी उत्तर ना देने वालो को लग सकता कि वो चुप रहके ही अपनी गरिमा को बनाके रखेंगे और वो जैसे जगत को समझते है बस वही सही है , लेकिन दुःख की बात यही अहंकार की साजिश है।। अहंकार बस खुदका ही समझ और दृष्टिकोण को अंतिम सत्य मानता।।

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24 APR 2023 AT 13:52

Signs that you are getting manipulated :

1) She/ He gaslights you - Gaslighting is a form of psychological manipulation that focus on creating self-doubt. 
Gaslighting involves an imbalance of power between the abuser and the person they’re gaslighting. Abusers often exploit stereotypes or vulnerabilities related to gender, sexuality, Past life, etc.

2) They will often twist their words which makes you question your sanity (mental health/ mental maturity) .Manipulators won't mind embarrassing you quite often in front of others or behind closed door without any strong ground.When you stand up for defending your self respect and confront them , they will try to brush it off ,and will call you too sensitive.

3) They will always try to play a victim card - When both of the person fight , the manipulator will always try to make other person feel it's his/her fault .They will hate moderators who try to solve the issue.

4) You will find yourself apologising all the time because manipulators avoid taking responsibility for their own mistakes.

5) Use of emotional blackmail - They will tell you that they will harm themselves , if you cut ties with them.

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21 APR 2023 AT 16:00

जीवन में प्रेम है, आप तब जानते हैं, जब प्रेम को व्यक्त करने के लिए आप ज़िम्मेदार नहीं रह जाते हैं।।

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21 APR 2023 AT 4:52

मनुष्य के पास सबसे कीमती सम्पद शांति है। जाने-अनजाने हमारे सभी प्रयास शांति की प्राप्ति की ओर निर्देशित होते हैं। विरोधाभासी रूप से, शांति पाने के हमारे सभी प्रयास या इच्छाएं वास्तव में बेचैनी का कारण बनती हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि एक व्यक्ति को बेहतर स्थिति के लिए प्रयास करना बंद कर देना चाहिए। यह इसकी हताशा है जिसे छोड़ देना चाहिए। इच्छा पूरी न कर पाने का वह डर , अचेतन वासना खोने का डर जीवन के आनंद को खत्म कर देता है और वर्तमान क्षण में जीना बहुत दूर की सच्चाई बन जाता है। अपने दैनिक मामलों में, हम अपनी शांति का नियंत्रण आसानी से अपने आसपास के अन्य लोगों को दे देते हैं। अलग-अलग स्थितियों के लिए भावनात्मक प्रतिक्रियाएं और इस मामले में, अलग-अलग लोग इस बात के अच्छे उदाहरण हैं कि हम अपने बाहरी वातावरण से कैसे नियंत्रित होते हैं। हमारे आंतरिक स्थिति पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में हो, यह बात कभी कभी एक अवास्तविक कल्पना जैसा लगता है क्यों कि कही न कही गुलामी से हमे बोहुत सहूलियत मिलता, सुख मिलता एक सपनो का महल खड़ा करके जो हमे हमारे यथार्थ स्थिति से दूर रखते है !! हमारी प्रतिबद्धता दृढ़ होनी चाहिए ऐसे सोचके हम उसही समय गौरव मेहसूस करते और तुरंत दूसरे पल उस प्रतिबद्धता से दूर हटना शुरू कर देते! आंतरिक शांति की पवित्रता को स्वीकार करते हुए उसमें दूसरों को हस्तक्षेप न करने देना चाहिए।

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19 APR 2023 AT 20:06

जो जीवन में जीतना ज्यादा गलत संगति करा , उनके मन के स्वास्थ(health) के लिए जितना ज्यादा गलत काम किया उसका बोहोत ज़्यादा संभावना रहता कि बाद में जाके उसका भी हालात सुधरे ।। जबसे वो यह स्वीकार करलेता है की " में" गलत किआ हु, वहासे ही उसके लिए स्वर्ग ( सही चुनाव ) का द्वार खोल जाता।। लेकिन जो कभी यह नही स्वीकारता की वो भी कभी बेहोशी में गलती किआ है, या अभी भी कररहा है दुसरो से खुदको बार बार तुलना करके छाती फुलाके उनलोगों के लिए नरक का द्वार खोलने लगा है क्यों कि वो अभी अपने बर्तमान स्थिति को गिरा हुआ नही मान रहा है और बाकी ओ से ज़्यादा पुण्यात्मा मान रहा है ।। यह तुलना उसे अहंकार की ओर धीरे धीरे ले जा रहा है ।। अहंकार जितना ज्यादा बढ़ जाएगा , उतना ज्यादा वो हिंसात्मक बनते जाएंगे दुसरो का मूल अधिकार धीरे धीरे छीनके वो खुदको एक पल परमेश्वर के आसपास लग भाग लेके जाएंगे।। और तब शोषण का एक वजूद भी मिलजाएगा उन्हें खुदको दूसरे से बेहतर समझने के कारण।।

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19 APR 2023 AT 12:41

Question 2 : If I justify my actions and choices of my life giving all reasonings , can it be called right action or right stream of thoughts ?

Answer : Atfirst , see if your actions and choices of life are without any conditions , even if there is any condition  think about its universality in respect to utility. If justification meet universality or guided by selfless action ( I.e If the action doesn't exploit every living  as well as non living in right sense and not just  appease your own interest ) then the justification is guided by  Truth. Every other conditional justifications are to satisfy own ego or self interest which only helps you and doesn't necessarily help others in absolute term.

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19 APR 2023 AT 12:34

Question 2 : अगर मैं अपने कार्यों और अपने जीवन के विकल्पों को सभी तर्क देते हुए सही ठहराता हूं, तो क्या इसे सही कार्य या विचारों की सही धारा कहा जा सकता है?

Answer : पहले यह देखें कि आपके कार्य और जीवन के विकल्प बिना किसी शर्त के हैं या नहीं, चाहे कोई शर्त हो भी , तो उपयोगिता के संदर्भ में उनकी सार्वभौमिकता के बारे में भी सोचें। यदि औचित्य सार्वभौमिकता से मिलता है या निःस्वार्थ कार्रवाई द्वारा निर्देशित होता है (यानी यदि कार्रवाई सही अर्थों में हर जीवित और निर्जीव का शोषण नहीं करती है और न केवल आपके स्वयं के हित को संतुष्ट करती है) तो औचित्य सत्य द्वारा निर्देशित होता है। सभी अन्य सशर्त औचित्य अपने अहंकार या स्वार्थ को संतुष्ट करने के लिए हैं जो केवल आपकी मदद करता है और जरूरी नहीं कि दूसरों की पूर्ण रूप से मदद करे।

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19 APR 2023 AT 12:21



Question 1 : What is the exact meaning of justification ? (औचित्य का सही अर्थ क्या है) ?

Answer : At first , we need to introspect and critically think that what is just and what is unjust ? ( सबसे पहले, हमें आत्मनिरीक्षण करने और गंभीर रूप से सोचने की जरूरत है कि क्या उचित है और क्या अनुचित है? )




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19 APR 2023 AT 10:47

Disciple : what are conditions ?? From where does conditions stem?

शिष्य : शर्ते क्या होते है ?? कहा से शर्तो के उत्पत्ति है ??

Bhrigu : Conditions are rules stemming from mind which is surrounded by an ocean of self interest .

भृगु : स्वार्थ के समुन्दर में घेरे हुए मन से शर्तो का उत्पन्न होता है , जो कुछ नियमो का पालन करते हुए अपने स्वार्थ को बचाते है।।

Disciple : What is the root of self interest ?

शिष्य : स्वार्थ के जड़ें कहा पे है ?

Bhrigu : Maintenance and protection of "I" from conditioned fear of missing out is the centre of self interest.

भृगु : "में" (अहमवृत्ति) के संरक्षण और रखरखाव , कुछ खोने की तर्कहीन डर ही स्वार्थ के केंद्र है।।

Disciple : What is fear of missing out ??
शिष्य : क्या खोने का डर है ?

Bhrigu : Fear of missing out is an irrational belief of mind that we have something very special in this world that we can protect eternally. But in reality , nothing belongs to "I" as "I" perishes everytime along with the desirable

भृगु : खो ने का डर मन का एक तर्कहीन विश्वास है कि हमारे पास इस दुनिया में कुछ बहुत खास है जिसे हम हमेशा के लिए सुरक्षित रख सकते हैं। लेकिन वास्तव में, कुछ भी "मैं" का नहीं है क्योंकि "मैं" वांछनीय के साथ-साथ हर बार नष्ट हो जाता है.

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18 APR 2023 AT 12:51

राजा अभयचरण अपने रानी और दूसरे प्रजाओं को कहा कि "आप सब देश में बाकी दार्शनिक और चिंतक से सलाह लेना बंद करदो , क्यों कि में भी आज से अपने घर के बाहर कोई दुसरो से ज्ञान नही लूंगा , ज्ञान के ऊपर सिर्फ मेरा ही अधिकार रहेगा , और सबकुछ त्याग के में अकेला आप लोगो को ज्ञान प्रदान करूँगा ।।

रानी और बाकी प्रजागण : राजा जी ऐसा क्यों ?? हमे तो आज तक कहा गया था कि "ज्ञान कही से भी आये उसपर रोक टोक नही होनी चाहिए , ताकि ज्ञान पर सोध होसके और हम सही निष्कर्ष पर आए अपने बुद्धि और विवेक के इस्तेमाल करके ।।

राजा अभयचरण : सारे दार्शनिक और चिंतक झूठे है , मक्कार है , सिर्फ में ही सत्य हु और सिर्फ में ही अपने रानी और प्रजा के भलाई के बारे में सोच सकता, इसलिए सबकुछ छोड़के मेरे एकाधिकार विचार के शरण मे आजाओ ।।

यह बोलके राजा एक एक करके दार्शनिक गण को अपने प्रजा और रानी के जीवन से हटा दिया।। फिर शोषित समाज को धीरे धीरे लगने लगा कि यही हमारे लिए अच्छा है।।

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