अब कुछ बातें तब होंगी
जब तुम यहां होगी
बनारस में
शाम के समय
तुलसी घाट पे
कल्लू के हाथ की बनी
अदरक वाली कड़क चाय
और वेज मैगी के साथ
पतली सी सीढ़ियों पे
सबसे ऊपर साथ बैठी होगी
और निहारती रहोगी
गंगा के इस छोर पे मंदिरों के पीछे
पेड़ों के ओट में
सूरज को छिपते हुए,
जब तुम्हारे बंधे बालों से निकले लट
बेखयाली में तुम्हारे गालों को छुएंगे
और हल्के हल्के फूंक मारते हुए
चाय की चुस्कियों में डूब रही होगी तुम
तब होंगी कुछ दिल की बातें।
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