तुझे महफिल में बदनाम तो करूंगा नहीं, पर तेरे दिए दर्द को दिल मे रखूँगा भी नहीं, और बहुत गलत कर बैठी एक लेखक को धोखा देकर, मैं अपने दर्द को महफिल में बताएं बिना रहूँगा भी नहीं....
तेरे छत पर गिरे पतंग मेरी, उसपर लिखा सन्देशा तू पढ़ ले, कुछ नब्बे के दशक जैसा इकरार है मेरा , तू पकड़ ले पतंग की डोर मेरी, और खो जा इतना इस आसमान में, कि मेरे इश्क के हर नजरिए को परख ले....
एक नई उमंग एक नई पहचान के साथ आ रहा हूँ, खुद के साथ हज़ार नए सपने लेकर आ रहा हूँ, अब लाख आए तूफान जितने, मैं खुद के हौसले को साथ ला रहा हूँ, तोड़ा था जिस बुरे समय ने मुझे, एक नए साल में अब मैं उसकी औकात दिखाने आ रहा हूँ....
जनवरी आती है तो हज़ार सपने दिखा जाती है अन्दर बहुत से उल्लास, उमंग, जोश भर जाती है, और कमाल देखो सर्द के इस महीने का ज़रा, दिसम्बर आते ही अपना रंग दिखा जाती है....