जब दुनिया ब्लैक एंड वाइट थी,
तो सब साफ साफ था,
जब से इसमें रंग भरे, ये रंगीन हुई है,
लोगों ने अपने रंग बदलने शुरू कर दिए.....-
...दिल तुम्हारी सुनेगा।
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हर गुजरते लम्हों के साथ ये चाहत बढ़ती ही जाती है,
ये कैसी मोहब्बत है जो ढलने का नाम लेती ही नहीं...
तुम यादों में हो हमारे सांसों की तरह,
जब तक ये ज़िंदगी है ये कभी रुकेगी ही नहीं....
तुम मुझे याद नहीं करते इसका कोई गम नहीं,
मोहब्बत में हमें तुमसे कोई शिकायत ही नहीं....
तेरे साथ भूल जाती हूं इस दुनिया जहां को,
तेरे पास आने की चाहत कभी ख़त्म हुई ही नहीं....
सोचकर तेरे बारे में ख़ुद ही अश्क़ बहने लगते है,
तेरे दिए दर्द का मरहम हमें मिला ही नहीं....
आज भी तुझे सोच कुछ लिखने को जी चाहता है,
ऐसा नहीं के अब मुझे तुझसे मोहब्बत ही नहीं....
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दर्द-ए-दिल लिए हम तेरी महफ़िल में आ गए,
आंखों में इंतजार दिलों में तड़प लेकर आ गए,
बहुत सी शिकायतें थी तुमसे करने को जाना,
पर न जाने क्यों तुम्हें सामने देख हम ख़ामोश रह गए...
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प्रेम तो सबने किया पर इंतजार का हाथ किसी ने न थामा,
जिसने है इंतजार को थामा प्रेम उसी का होकर रह गया....
🌸 राधे राधे 🌸-
वो जब भी आता है,
फिज़ा में खुशबू बिखेर देता है,
काटें ख़ुद में रखकर,
जहां में इत्र भर देता है....-
एक शाम तुम्हारे साथ चाहिए,
बाहों में मेरे तेरी बाहें चाहिए,
बस मोहब्बत ही रहे इन फिज़ाओं में,
तेरे संग एक खूबसूरत लम्हा चाहिए...
हाथों में तेरा हाथ लेकर,
हवाओं से बातें करूंगी,
कितना प्यारा महबूब हैं मेरा,
उस महताब को बताऊंगी...
तुम कुछ न कहना पर सब सुन लूंगी मैं,
लबों से न सही आंखों से पढ़ लूंगी मैं,
तेरी सांसों की गर्माहट, दिल की धड़कनों से,
अपना नाम बार-बार सुन लूंगी मैं....
तेरे संग हर चीज़ प्यारी लगती है,
तुझमें ही मेरी दुनिया बस्ती है,
तेरे संग वक़्त का पता नहीं चलता,
काश! तेरे संग ये वक़्त ही नहीं होता....
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न जाने क्यों तेरे बिना सब अधूरा सा लगता है,
एक तेरे ही साथ सब पूरा सा लगता है।
बड़े तन्हा थे तेरे आने से पहले,
तेरे संग खुशियों का मेला सा लगता है।
तुझमें ही ख़ुद को भूला देना चाहती हूं,
तू ही मेरी पूरी दुनिया सा लगता है।
जीना नहीं आता मुझे तेरे बगैर,
क्योंकि तेरे बगैर जीना नामुमकिन सा लगता है।
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वक़्त लगेगा पर ख़ुद को संभाल लूंगी मैं,
तुझसे दूर रहने का तरीका निकाल लूंगी मैं....
बहुत हो गया ये तेरे यादों में रोना-धोना,
ख़ुद को तेरी यादों से जुदा कर लूंगी मैं....
बहुत जला लिया इस मासूम दिल को मैंने,
अब इसे राख़ होने से बचा लूंगी मैं...
इस कद्र तड़पा है तुम्हारे लिए ये दिल,
इसे अब तड़पने से रोक लूंगी मैं...
नहीं आऊंगी अब तेरे रास्तों में दोबारा,
इस मानिंद इसे समझा लूंगी मैं.....
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उसकी यादों के सहारे जिंदा हूं मैं,
वरना कब का बिखर चुकी थी मैं...
हर सांस में जैसे वो समाया है मेरे,
जीने की जैसे एक वजह है वो मेरे...
हर रात मेरे अश्क़ तकिए से मिलने आते है,
देखकर इसकी नमी को जैसे सांसें भी थम जाते है....
वो दिन मेरा आख़िरी दिन होगा,
जब मेरी रूह तुझे याद करना छोड़ दे
या मेरी आँखें तेरी तस्वीर भूल जाए..
कभी लहर बनकर मुझमें बह जाती है,
तो कभी तेरी याद सीने से लिपट जाती है,
तू ही बता मेरे हमनवां तू मुझमें, मुझसे ज़्यादा क्यों दिखाई देता है...
मैं तुझसे मिलों दूर हूं,
पर हर रात तुझे अपने करीब ही पाती हूं,
वो अनछुआ स्पर्श मेरे दिल को बहलाती है,
वो सिरहन जो अब भी कहीं बाकी है....
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