तुझे अश्क़ों से लिखूँ तो तु मिट न जाए कहीं, तुझे अधरों मे भरूँ तो दिल भर न आए कहीँ, तेरी इबादत जो करी इस दिल ने तो ख़ुदा मुझसे रूठ गया, डर लगता है कि अब इस मकाम पर तु छूट न जाए कहिं....
वो भीगी सी बारिश और उसकी बूंदों में तुम, वो भीगती हुई मैं और भिगाते हुए तुम, वो कुछ बेखबर सी मैं कुछ बा असर से तुम, वो तुझमें मैं और मैं में तुम.......
इन आंखों के आसूं देख सके इतना कोई खास नहीं, मैं खुदसे कब दूर हुई इस बात का मुझको एहसास नहीं, जिंदगी के अंधेरे में कुछ इस कदर खो चुकी हूं, के उजाला किसे कहते अब मुझे याद नहीं.....
वो जिसका नाम ही प्यार होगा.... सोचो ज़रा कितना खुशकिस्मत उसका यार होगा, हर खुशी पे आखिर उसका ही इख्तियार होगा, मुख्तसर ये ऐतबार जो मुस्तकिल इस बार होगा, हए मुरशाद, आखिरकार उसके नाम में ही प्यार होगा.....
तेरी यादों का मुझपे इख्तियार है, तु वो मंजर है जिसका मुझे इंतजार है, तेरे खातिर ही भुलाया है मैने खुदको, मेरी जिंदगी तो वो लम्हा है जिसमे तेरा इजहार है....
के अपने गुरूर में वो कुछ यूं मशरूफ हुआ.. की जिसने उसे था चाहा आज वो उससे भी दूर हुआ, जो बन चला था एक किस्सा इस जिंदगी का , ना जाने कैसे आज वो मशहूर हुआ... किसी की रातों का चांद देखो ना आज कैसे किसी और की जिंदगी का नूर हुआ......