मेरा ऐसा मानना है,
प्रेम सबसे आदर्श भावना है।
न जात जाने न भाषा,
साथ की है अभिलाषा,
किसी क़िस्मत वाले ने ही जाना है।
प्रेम सबसे आदर्श भावना है।
अर्पित करना पड़ता है इश्क़ में,
ये श्रेय पाने वाला जो इंसान है,
उसने सिखाया निभाना है।
प्रेम सबसे आदर्श भावना है।-
क्या कहूँ किसने मुझे आईना दिखाया, किसने मुझे यहां धकेला है,
धक्क हो कर रह गई, ये जाना जब कि अपनों के बीच भी हर शख़्स अकेला है।
एहसासों का बाज़ार है यहाँ, सस्ती मोहब्बतों का मेला है,
साथ कोई नहीं है मेरे, दिल रो रो कर बताता है, महफिलों में भी अकेला है।-
बड़ी दूर से खुदा मुझे आवाज़ दे रहा है,
आंसू अब मेरे गमों को लिबास दे रहा है,
काफ़ी लम्बा जिया है मैने दर्द का सिलसिला,
ले जाए मुझे रब्ब, के अब मेरा सब्र जवाब दे रहा है।-
प्यार के बीज उसने बोना छोड़ दिया,
आख़िर क्यों उसने तुम्हारे सामने रोना छोड़ दिया?
वो जो बचपन से संभाला हुआ था उसके पास जायदाद सा,
अचानक आज कैसे उसने वो खिलौना छोड़ दिया?
उसने अपने दिल से तुम्हें मिलाना छोड़ दिया,
हर बार तुम्हें ख़ास सबसे बनाना छोड़ दिया,
अब वो नहीं बताती कभी अपने दिल की बात तुमसे,
वो जो तुम कहते थे कि जिसने तुम्हारे लिए ज़माना छोड़ दिया।-
And as I look deep into the void of nothingness,
I find the realm of the horizon of eerie peace.
As I slowly rise above the feeling of myselfness,
That's where people find the designated ill relief.-
मेरे कदमों में जैसे बादलों की चादर बिछी थी,
काली थी कोई, और कोई बदली उजली थी।
हवा में तैरते थे हम कुछ इस तरह,
मछली झूमे बेपनाह सागर में जिस तरह।
खुदा ने भी क्या खूब नज़ारा बनाया था,
मुझपे बरसने वाले बादलों से ऊपर मुझे बिठाया था।
नीला अम्बर, ज़मीं नीली और किरणें बिखेरता सूरज था,
बादलों के बीच से जो भी दिखता, हर नज़ारा खूबसूरत था।
जैसे किसी ने खूबसूरती नज़रों में उतार दी थी,
जहां से ऊपर उड़ने की, मुझे ये नायाब बहार दी थी।-
The bow in my hair,
And that carefree flare,
Oh I don't anymore care,
I fly upon the air,
And you shouldn't dare!
That "SHREYA" in myself bare,
Is not to be found there or here,
Well that's no body to be spare,
Life running in the hundredth gear
Oh..and the bow in my hair!!!-