Shreya Mishra   (SAM...)
7 Followers · 6 Following

I believe to win the hearts❤️ of people with my pure heart❤️...
Joined 20 August 2019


I believe to win the hearts❤️ of people with my pure heart❤️...
Joined 20 August 2019
19 MAY 2021 AT 13:05

एक समय था,
जब सारे जज़्बात इन पन्नों से ही बॉट लिया करती
पर आजकल इन ख़ामोशियों को अंदर ही समेट लेती!
जाने क्यूं ,
कलम उठते , तो शब्द विलीन हो जाते
औऱ कुछ कहना चाहती,तो अल्फ़ाज़ कहीं खो जाते!

-


19 MAY 2021 AT 12:53

मुश्कुराता मुखौटा पहन रखा है मैंने जाने कबसे
दम घुटता है अब इस बनावटीपन से
पर लगता शिद्दत वाला प्यार है इसे मुझसे
तभी तो लिपटा है मुझमें यू गोंद के जैसे!!!

-


20 APR 2021 AT 22:27

मैं और तुम एक रेल की पटरी जैसे हैं
साथ रह तो सकते हैं
पर कभी मिल नहीं सकते।।

-


27 JUN 2020 AT 11:50

दोस्त कहकर दोस्ती यू निभा गए
कि हमसे हमारा ग़ुरूर ही मिटा गए
नज़रअंदाज़ खुद मुझे वो कर गए
और जाते-जाते ये इल्ज़ाम भी मुझपर लगा गए।।

-


27 JUN 2020 AT 11:27

खुद उपेक्षा कर
अपेक्षा रखती हो प्रेम की
खुद दगा दे कर
ईक्षा रखती हो इंतज़ार की।।

-


27 JUN 2020 AT 1:10

सुबह की ताज़गी है तू
शाम में लाज़मी है तू
तुझसे ही बनती है सुबह मेरी
बस होठों से लगजा
मेरी चाय की प्याली तू।।
☕☕

-


26 JUN 2020 AT 0:45

ख़ता नहीं,मोहब्बत है मेरी
बेवफ़ाई उसकी,सज़ा है मेरी
हमपे तो बस इश्क़ के,इस दो पल का एहसान है
इतनी भी ख़ूबशूरत कुछ है,इस दुनिया में
इस ख़ूबशूरती का हमें एहसास है
चलो जाती है तो जाने दो
शोहरत की भवर में बह जाने दो
लौट आएगी,गर लिखनी होगी मेरे संग ये कहानी
गर ग़ुम हो गयी,अपनी यश के धुन में
मैं मेरे एहसास, लिख लेंगे हमारी ज़ुबानी।।

-


25 JUN 2020 AT 23:41


सुबह की लालिमा के साथ
मेरे खिड़की खोलने के बाद
जब मेरी प्रिये का दीदार होता है।।



रात की चाँदनी के साथ
उसके खिड़की बंद करने के बाद
जब वो मेरी आँखों से ओझल होती है।।


-


25 JUN 2020 AT 22:53

वो देती रही बेवफ़ाई ,दर्द की तन्हाई
फिर भी डूबा रहा वो ,प्यार की लहरों में
सोच कभी तो होगी दिल की सुनवाई
फिर भी डूबा रहा वो ,इश्क़ के दरिया में
सोच कभी तो खत्म होगी ये रुसवाई
उफ़! कैसा ये इश्क़ है जनाब
जीने की वजह भी दे
और मरने की तलब भी!!

-


23 JUN 2020 AT 15:05

छोटी थी मैं जब, गोदी में खेलूं आपके
आप मुझे चिढ़ाते जब, झगड़े भी करु आपसे
वो दिन भी क्या दिन थे
मैं बाबू आपस में लड़ते, तब आकर आप हमें समझाते
खेलने-कूदने लगते हम दोनों, पढ़ाई में भी मन लगाते
वो दिन भी क्या दिन थे
पर आजकल लगता है कुछ अलग
ये बेटी जो हर समय कूदती-फांदती
बिलख रही है हर पल अब
हर लम्हे बस यही कहती
वो दिन भी क्या दिन थे
वो बेटी जो करे हमेसा राज
क्या हुआ जो खुशियाँ हुई उससे नाराज़
जिसके बल पर इतना इतराती
उसके जीवन में वो खुशी ही नहीं जो वो इठलाती
सच वो दिन भी क्या दिन थे!!

-


Fetching Shreya Mishra Quotes