अर्ज किया है..
एक शायर से पूछ रहे बड़ी शायरी लिखी जा रही हैं..
कभी दिल में उतर कर देखे जनाब,
हमारे दिल पर क्या बीती जा रही है😜
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life is scary.....
It doesn't mean you stop living it❣️
कुछ यूं देखा करती थी...
किसी की आँखों में अपने लिए अपनापन
आज उसकी ही खामोशी ने जाता दिया..
वो अपना नहीं है।
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यह कैसा इत्तेफ़ाक है...
की तेरी ओर जाने को
कुछ मोड़ थे ऐसे भी..
जो मेरी मंजिलों से भी खास है
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सब्र रख अभी मेहनत जारी है...
वक्त खुद कहेगा एक दिन...
चल अब तेरी बारी है
चल अब तेरी बारी है।
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Kuchh Fasle Sirf Aankhon Se Hote Hai,
Dil Ke Fasle Do Bato Se Hote Hai,
Koi Lakh Bhulane Ki Koshish Kare,
Par Dosti Ke Ristey Khatam Sirf Saason Se Hote Hai...
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काश! तू बादल होता...
मैं माटी होती
काश! तू बादल होता...
मैं माटी होती
तू बरस रहा होता
और मैं महक रही होती।
काश! तू धूप होता...
मैं ओस होती
काश! तू धूप होता...
मैं ओस होती
तू खिल रहा होता
और मैं पिघल रही होती।
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मेरी फ़ितरत में नहीं था...
तमाशा करना
बहुत कुछ जानते थे....
मगर खामोश रहे
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ये अटपटी अनोखी सी जिन्दगी
चन्द खुशियाँ पाने की होड़ जिन्दगी,
अकांक्षाओ की एक दौड़ जिन्दगी..
जरुरतो के बोझ तले दबी सी जिन्दगी,
आँखों में ख्वाहिशे भरे ओस सी चमकती जिन्दगी..
हर पल बदलती वक़्त की रफ़्तार सी जिन्दगी ,
किसी भीड़ में खोयी लम्बी कतार सी जिन्दगी,
चेहरे पे चेहरे लगाकर, मेले में बिकते मुखौटो सी जिन्दगी..
विश्वास के रिश्तो में पिरोई जिन्दगी,
झूठे सच्चे जजबातों की कसौटी जिन्दगी.
जीत से उछलती खुश होकर चहकती जिन्दगी ,
हार से थरथाराकर गमो में सिमटी जिन्दगी..
पूर्ण होते ही पुरानी इच्छाए ,
नई अपेक्षाओ को जन्म देती ये जिन्दगी..
सुख- सुविधा की चाह में जूझती ये जिन्दगी,
मात्र खुद को समय न दे पाती ये जिन्दगी..
ये अटपटी अनोखी सी जिन्दगी….
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Yaadon ko bhulane mein,
Kuch der toh lagti hain..
Aankhon ko sulane mein,
Kuch der toh lagti hain..
Kisi shakhs ko bhula dena,
Itna aasaan nahi hota..
Dil ko samjhane mein,
Kuch der toh lagti hain..
Bhari mehfil mein jab koi,
Achanak yaad aa jaaye,
Fir aansoo chupane mein,
Kuch der toh lagti hain..
Jo shakhs jaan se pyara ho,
Achanak door ho jaaye,
Dil ko yaqeen dilane main,
Kuch der toh lagti hain....!!-
रोज़ यहा एहसास बदल जाते हैं
बदलते मौसम की तरह आज कल
लोगों के ख़यालात बदल जाते हैं
अजनबी हो जाते हैं पल भर में
जन्मों के साथी
लम्हों में यहा अपनों के
जज़्बात बदल जातें हैं
ढल जाए शाम तो
साया भी साथ नहीं देता
चमके जो क़िस्मत का सितारा
तो ग़ैरों के भी अन्दाज़ बदल जाते हैं
मंज़िल पर पहुँच कर
ये मालूम होता है
मुश्किल राहों पर ना जाने कितने
हमराज़ बदल जाते हैं।-