Us sham main tumhare darwaze par aaunga,
Tum ghabrana mat, main Bina dastak diye hi, chala jaunga.
Tum firse, naraz mat hona main chup rehkar tumhe niharta rahunga,
Dur se tumko apni sanson me bharta rahunga.
Tumhe sawarnein ka shaukh hai na, isliye,
usse tumhari khoobsuratii k liye dua karunga.
Mujhme jo tumhe nahi mila,vo kisi aur me mil jaye.
usse ye bhi kahunga.
Baith kar raton ko tumhari yaad me aise hi kuch likhta rahunga.
Panne bheeg na jaye isliye apne ankhon ko meechta rahunga.
Kahunga kuch nahi, apni fariyad bas likhta rahunga.
Tum ye sab sun paogi nahi, aur main tumhe mohabbat karta rahunga.-
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तेरी याद में बैठे हुए!
किनारा सा होगया हूं।
लहरें तेरी खुशबू हर रोज़ लेकर आती तो है।
पर तुझ तक का नज़ारा भी मैं अब भूलने लगा हूं।
हां,यहां!
कश्तियां तो कई है, मगर मैं अब उस नाकाम मुसाफिर सा होगया हूं।
बैठता तो तेरे इंतज़ार में हर रोज हूं!
पर लहरों से हारा अब एक ज़माना सा होगया हूं।
मर्ज भी कुछ ऐसा है।
तेरी याद में बैठे समुद्र में मीठी बूंद सा था।
खास था मैं, पर मैं भी अब खारा होगया हूं।-
मेरी नाकामियों पर शक मत करना ।
मैं हर उस मुकाम से गुजरा हूं,
जहां मंज़िल आंखों को सलाम देकर चली जाती है।
कभी हस्ती है,
तो कभी,
बेबस हालातों मे हसाती है।
अपनी नाकामियों से बहुत इश्क है,
मुझे !
वही मुझे हर बार इंसान होना सिखाती है।
-
दीवाने दिल को समझाया बहुत की इश्क़ ना कर बरबाद होजाएगा।
बेवक्त धड़क, बेवजह ही खयाल सजाएगा,
टूट जाएंगे सारे ख्वाब तो धड़कन बढ़ाने से तू फिर घबराएगा।।।
दिल भी बोल पड़ा।
अपने बावले दिमाग को समझा, मैं तो धड़कन काम कर भी दू,
पर क्या वो उस खुशनुमा एहसास को,
कम कर पाएगा ???-
एक लेखक के लेख में जज़्बात तब तक नहीं आते,
जब तक वो किसी के लिए जज़्बाती नहीं होता।-
कुछ वक़्त ऐसा होता है।
जब मैं अपनी ज़िन्दगी जी लेता हूं।
कभी खामोश हो, तो कभी, चिख कर अपनी बातें कह लेता हूं।
मैं शांत हू नहीं पर शांति का एहसास दिल में भर,
शोर मचा कर,
दुनिया को अपने होने का एहसास दिला देता हूं।
कभी,
नंगे पैर चल, मैं कटों को भी नरम कर देता हूं।
तो कभी,
अंगारों को अपनी गर्मी दे उन्हें गर्म कर देता हूं।
कुछ वक़्त ऐसा होता है,
जिन मे,
मै अपनी ज़िन्दगी जी लेता हूं।
-
ज़माना बहुत बुरा हो चला है।
अब तुम भी संभल कर चलना।
दरिंदों ने ज़माने को ही घेर लिया है।
तुम भी शोर मचाते चलना।
शायद ही कोई तुम्हारी पुकार सुने।
पर तुम दहाड़ते हुए चलना।
फरिश्तों की कमी तो नहीं?
पर तुम दरिंदो में अपना खौफ बनाए रखना।
तकलीफे भी कई आएंगी।
पर तुम अपना जोश संभाले रखना।
तुम बहुत काबिल हो, ज़माने को अपनी पहचान बताते चलना।
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थोड़ा वक्त साथ तो गुजारो ए ज़ालिमा,
तुम्हे उस पाक इश्क़ से मोहब्बत फिर से हो जाएगी।
थोड़ा हमारे पास तो आओ,
मुस्कुराहट तुम्हारे चेहरे पर फिर्से आजाएगी।-
चलो अंधेरों से दूर रोशनी की और रुख करते है।
ज़मीन को छोड़ आसमान की तरफ उड़ चलते है।
ज़िंदगी से जंग मुकम्मल तो कर ली है।
आओ,अब थोड़ा ज़िंदगी से भी इश्क फरमाते है।।।।।-
चलो अंधेरों से दूर रोशनी की और रुख करते है।
ज़मीन को छोड़ आसमान की तरफ उड़ चलते है।
ज़िंदगी से जंग मुकम्मल तो कर ली है।
आओ,अब थोड़ा ज़िंदगी से भी इश्क फरमाते है।।।।।-