मिली नहीं है ये नज़रे आपसे अभीतक ,
शर्म से पलकें झुकी नहीं है मेरी अभीतक।
ये रसपूर्ण होठ चूमे नहीं है आपको अभीतक,
इस हया से गले लगाई भी नहीं हूँ आपको अभीतक।
ये कोमल से हाथ पकड़ी नही है बाँह आपके अभीतक,
इस कारण कदम साथ मिलाई भी नहीं हूं आपके अभीतक।
प्रकृति के बीच हसीं शाम भी नहीं कटी है आपके साथ अभीतक,
नीला आसमां भी नही देखा हमारा मिलना एक दिन भी अभीतक।
है इंतेज़ार इस प्रकृति को हमदोनों का मिलना आसमां तले,
की राहों में खुशबू बिखेर रही है तितलियां हमारे मिलने की घड़ी में ।
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