Shree   (A journey of thoughts)
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Joined 8 June 2021


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30 APR AT 9:35

keeps me alive,
synthesizing myself
for a beautiful new dawn..

The light that lives inside me
awakes me to dive
into the chores each day
to rise as a phoenix of divine..

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30 APR AT 9:22

सदाबहार आईना है...
जिस मौसम मुस्कुराओ
जीवन में सवेरा है,
उम्मीद और यक़ीन गहराए..
हंसी में रोशनी का बसेरा है!

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29 APR AT 0:57

चिंताओं की चिता बना आरुढ़ हो जाऊंगी
एक दिन सुनिश्चित है मैं सती हो जाऊंगी
स्त्री बन मर-मर डर-डर अब और जी नहीं पाऊंगी
और नहीं अब तिलांजलि अहम् की भवचक्र पर चढ़ाऊंगी!

चिंताओं की चिता बना आरुढ़ हो जाऊंगी...
कश्ती मझधार, गश्ती अधभार, ज्वाला-ज्वाला लहकी
ममता की मादरी बनना छोड़कर न्यायाधीश बन जाऊंगी
भाषा निष्पक्ष, तृष्णा निश्च्छल, निज निधि में करुण दाह पाऊंगी!

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21 APR AT 18:42

तुम दूर रहना

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21 APR AT 17:58

ख़ानाबदोश जिंदगी नये
मंजरों की खुराक लेती है,
जीने देने से पहले
खुद एक बार जी लेती है,
जवां हो लेती है,
ना कहती बस ख़लिश
दफन कर देती है,
थोड़ा और जोर से हंस कर
उनकी गमों से ठने रहते है,
घुमंतू नये रास्तों पर चल कर
तथागत बनने निकलते हैं।

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14 APR AT 23:28

दरवाजे से खिड़की के बीच
शर्म, लाज, शालीनता की कड़ी

खिड़की से दरवाजे तक बिछी
प्रतीक्षा, प्रतिकार, परीक्षा की घड़ी

अचरज में ठनी मन की मन से
क्यों ना बनी अपनी होकर अपनों से!

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14 APR AT 23:15

कब तक उतारते यूं ख़्वाब पन्नों पर करने होंगे रतजगे
आफ़त.. मुहब्बत को मौत भी मुल्तवी नहीं है साहिब,

डटी-टिकी रहती, हौसलों की झाड़ पर रहे फुदकती
फिरे अतरंगी आजमाइशों में इत-उत बिफरी बहकी हुई!

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13 APR AT 23:14

शब्दों से अनबन सी थोड़ी,
थोड़ी सी बकझक है!

कारण ना उसने पूछा है,
ना मैंने मन में ठाना,

अब इस चुप्पा-चुप्पी में
भी थोड़ी बातें ज़रुरी है

हंसे कभी, कभी इतराये..
ख़ुदा की नेमत, कह पाते!

ख़फ़ा कभी सोचे ढ्ढढड़ सी
सच्चाई से है समझ बड़ी..!

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11 APR AT 23:12

रंग दो एक कि
रंगों के ढंग समझ नहीं आते!
दर्द से पूछती है
कहानियां मेरी कि मौन क्यों?
शिथिल क्यों पड़ी
आवाज़ सुन की अनसुनी क्यों!
हालांकि एक यकीन
कि उम्र गुजार दे तेरे इंतज़ार में।
अस्ताचल के सूरज सा
सिर झुका अरमान सो ही जाते हैं
जवां हो अंगराई भरते
हर सुबह तेरी याद से फिर जागते हैं!

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9 APR AT 16:54

कह दूं स्नेह
पूछ लूं समय
या रहूं मौन

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