श्रद्धा 🌸  
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उडत्या पाखराला परतीची तमा नसावि..🦅
क्षितिजापलिकडे झेप घेण्याची जिदद असावि🕊️
Joined 26 August 2018


उडत्या पाखराला परतीची तमा नसावि..🦅
क्षितिजापलिकडे झेप घेण्याची जिदद असावि🕊️
Joined 26 August 2018
4 JUL 2021 AT 22:48

इस जहां से चल कहीं दूर जाते है।
तारो के शहर में एक आशियां अपना सजाते है|

रिश्तों के पिंजरे को तोड़, चल आसमान में कहीं गुम हो जाते है।
इस जहां से चल कहीं दूर जाते है।

ना ख्वाहिशों का बोझ ,ना मंज़िल की फिकर
सुकून हो जहां चल उस सफर पर जाते है।
इस जहां से चल कहीं दूर जाते है।

मतलबी है चहरे यहां , हर तस्वीर झूठी है ।
आइने हो जहां चल वाहा जाते है।
इस जहां से चल कहीं दूर जाते है।

जहां शोर ना हो नफरतों का
बस गीत गूंजे प्यार का ,ऐसे उस घर में एक कमरा अपना सजाते है।
इस जहां से चल कहीं दूर जाते हैं।
तारो के शहर में चल एक आशियां अपना सजाते है|

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9 JUN 2021 AT 14:05





चल तन्हाई में सुकून ढूंढते हैं
इन आवाजों में खामोशी ढूंढते हैं
चल इस अंधेरे में रोशनी ढूंढते हैं
इन तितलियों में मुस्कान ढूंढते है
चल आसमानों में फिर नए ख्वाब बुनते है
जो उम्मीद दूसरों से की थी चल अब खुद से करते हैं
चल जिंदगी एक नई शुरुवात करते हैं....

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21 MAR 2021 AT 14:32

कविता:
दिल मे जझबातो का सैलाब उमड़ा था।
तेरी ही कश्ती में सवार मैंने सूकून का किनारा चूमा था।

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3 FEB 2021 AT 20:00

हमारा दिल एक किताब है
जिसे हर कोई नहीं पढ़ पाता
और शायद हर कोई पढ़ना भी नहीं चाहता
आवरण से शक्सियत तय हो जाती है
दिल खोल कर पहचान करने की जुर्रत कोई नहीं करता
दिल की भाषा हर कोई नहीं समझ पाता
जसबातो की कलम से लिखी इस किताब को हर कोई नहीं पढ़ पाता
और शायद कोई पढ़ना भी नहीं चाहता
हर पन्ने पर कई राज है ,बिखरे हुए जस्बात है
पर जो भी है सच है, बिनफरेब है
काश मुझे इसे पढ़ना आ जाए
तो हर धुंदली तस्वीर फिर साफ नजर आए
हमारा दिल एक किताब है
जिसे हर कोई नहीं पढ़ पाता
और शायद हर कोई पढ़ना भी नहीं चाहता

- Shraddha Kokate







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26 JAN 2021 AT 22:29

सपनों की पोटली से निकले है ख्वाब आज
आसमान में सजे हैं जाकर, तारो समान
देख मुझे जिलमिला रहे हैं, मानो जैसे पास बुला रहे हैं
मैंने जाना चाहा वहां.. पर ये जहां हैं कहा??
राह कोई मिल जाए , ख्वाबों से हकीकत में मुलाकात हो जाए

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17 JAN 2021 AT 14:25

मै पानी की तरह बेहता चलू
गुज़रू जिस भी राह से मै
हर दिल पे अपने निशान मैं छोड़ता चलू
ना पास रहु ,ना दूर रहु किसी से
बस अविरत निरंतर चलता चलू
मै पानी की तरह बेहता चलू

ना रंग हो मेरा कोई
बेरंग होकर, हर रंग में मै घुलता चलू
क्यों चलू मै किसी और की राह पे??
मै अपनी राह खुद बनता चलू
मै पानी की तरह बेहता चलू

दुनिया प्यासी हैं प्यार की
उसकी प्यास मै बुझाता चलू
चाहे ना हो मेरा कोई
मै हर किसी का होता चलू
केवल एक जीव नहीं जीवन बनता चलू
मै पानी की तरह बेहता चलू












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3 JAN 2021 AT 10:07

क्या ढूंढता है तू बाहर
सब कुछ तो तेरे अंदर है|
तू क्यों लेहरो से डरता है
तू तो खुद एक समंदर है|

क्यों तू हताश है, क्यों तू निराश है
आसमान ना सही ,जमी तो तेरे पास है
तू वहीं का सरताज बन...
एक लंबी उड़ान बन..
तू खुद एक नया आसमान बन।।










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2 JAN 2021 AT 22:28

सपनों को पाने की दौड़ में अपनों को मत हरा देना

ख्वाहिशों के बोझ तले रिश्तों को मत कुचल देना

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3 NOV 2020 AT 8:15

Don't mould yourself to fit into other's framework if you do you eventually lose your identity , This difference is uniqueness that you have so wear it with grace.

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23 OCT 2020 AT 10:58

कुछ पाने के लिए कुछ खोना होगा
यूंही नहीं मिलेगी कामयाबी जिंदगी में
सूरज की तरह चमकने के लिए उसकी तरह जलना होगा
दूसरों को नहीं तुझे खुद को हराना होगा
दुनिया को बदलने के लिए पहले खुद को बदलना होगा

जीत का सफर आसान ना होगा
हर पल एक नई चुनौती का आगाज होगा
तेरी हिम्मत को तोड़ने का हर संभव प्रयास होगा
कभी अतीत रुलाएगा,
तो कभी असफलता का डर सताएगा
पर तुझे खुद पर विश्वास रखना होगा
और बस चलते रहना होगा
जहा चाह हैं वहां राह भी होगी
अगर जिद्द हैं जो हर मुश्किल आसान होगी

एक दिन में कुछ नहीं होगा ,पर एक दिन जरूर होगा
यूंही नहीं मिलेगी कामयाबी जिंदगी में
कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी होगा....








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