बड़ा नालायक है रे तू ,
काश बदल लेता इरादा उसकी आंखें पढ़कर ,
एकबार तो देख लेते निष्ठुर पीछे मुड़कर ,
जरूरी नहीं जो तुम सोंचो बस वही सच हो ,
पा लेते जीवन की पूर्णता उसके साथ जुड़कर ।।।।
डॉ श्रवण.........-
प्रायः यह देखा गया है कि सामाजिक हित की बात या कार्य करने वालों पर देर सवेर राजनीति का असर तो हो ही जाता है पर ऐसे में कुछ नाम ऐसे भी हैं जिनपर राजनीति का असर तो तनिक भी न हुवा जबकि खुद राजनीति पर ही उनका असर भरपूर हो गया। ऐसे ही महापुरुषों में एक नाम आदरणीय पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी का भी है ।।
डॉ. श्रवण ...।।-
इश्क़ होने का अर्थ यह तो नहीं,
की रात दिन जी हुजूरी ही हो ।
बात नहीं कर पा रहे तो समझना चाहिए ,
शायद उनकी कोई मजबूरी ही हो ।।
डॉ. श्रवण......
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इश्क़ होने का अर्थ यह तो नहीं,
की रात दिन जी हुजूरी ही हो ।
बात नहीं कर पा रहे तो समझना चाहिए ,
शायद उनकी कोई मजबूरी ही हो ।।
डॉ. श्रवण......
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अवसर और सूर्योदय में एक ही अंतर है
कि देर करने वाले इसे अक्सर ही खो देते हैं ।
अज्ञात.....-
बीहड़ में तो बागी होते हैं साहब,
डकैत तो पार्लियामेंट में होते हैं।
(पान सिंह तोमर)-
अपनी जाति व अपने धर्म का अहंकार होना ही अपनी जाति व धर्म के पतन का प्रमुख कारण है ।
डॉ. श्रवण ......-
जिस प्रकार शादीशुदा पुरुषों को अपनी पत्नी के अलावा अन्य सभी महिलाएं सुन्दर लगती हैं ठीक उसी प्रकार पढ़ने वाले छात्रों को भी अपने सिलेबस syllabus की पुस्तकों के अलावा अन्य सभी पुस्तकें,रोचक,पठनीय व अच्छी लगती हैं ।
भले ही कोई इस सच को स्वीकार न करे ।
डॉ.श्रवण......-
हमारा धर्म और हमारे शास्त्रों ने हमें यह शिक्षा दी कि पूरी दुनिया तुम्हारा कुटुम्ब है ,भाई है, परिवार है, चाहे वे किसी भी देश ,धर्म, जाति या मजहब के लोग या जीव हों और इसी कारण हमने सबको अपने देश मे सम्मान व स्थान दिया पर दया तब आई जब हमें पता चला कि हमने जिन्हें स्थान दिया उनके धर्म और मजहब ने उन्हें यह सिखाया व बताया है की तेरे धर्म को मानने वालों के अलावा संसार मे सब काफ़िर हैं और वे यदि तेरे कहने से तेरे धर्म को स्वीकार नहीं करते तो उन्हें संसार मे रहने का कोई हक नहीं है ।
हे प्रभु इन्हें सद्बुद्धि दो की ये भी सत्य को समझ सकें और मानव बनकर मानवता को महसूस कर सकें ।-
संसार में मात्र एक ही ऐसा देश है जिसे वहां के वास्तविक निवासी उसे माता कहते हैं और वह देश है भारत ।
दुनियां के बाकी देश भी इसे माता कह सकते हैं क्योंकि हमें हमारे देश ने आपका परिचय हमारे कुटुम्ब के रूप में कराया है:- वसुधैव कुटुम्बकम-: ।।
डॉ. श्रवण......
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