पर्व है ये रोशनी का
चलो किसी की अंधेरी राहो पर दिया रख आते है
पर्व है ये मीठे पकवानों का
चलो किसी के मन में फ़ैली कड़वाहट मिटा आते है
है पर्व ये धूम धड़ाके का
चलो वक़्त ने तन्हा कर दिया गर किसी को उसकी जिंदगी में कुछ पलों की हलचल दे आते है
कहने को तो हर दिन है इंसानियत का
चलो त्यौहारों के बहाने इसको भी दिखा आते है
दिवापली की हार्दिक बधाई-
सुना है बाज़ार में चर्चे है उनकी खूबसूरत तस्वीरों के
जिनको खबर ही ना थी अपनी खूबसूरती की
हमसे मिलने से पहले-
तन्हा इश्क़ के इस सफ़र में तुमको,उस मुक़ाम पर ले आया हूँ।।।।
अक्स अब तुम्हारा ही दिखता जब जब देखता आईना मैं हूँ।।।।।-
बहुत छोटा सा हुआ करता था प्यार उसका मेरा
5 रुपिया की डेयरी मिल्क में ही सिमट जाता था-
तय तो मौत मेरी किसी लत में है
देखो इल्ज़ाम किसको जाता
मय.....कश......और एक तुम
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सोचता हूँ एक कहानी लिखूँ
तुमको उसमें अपना लिखूँ
फ़रेब इतना बड़ा लिखूँ भी तो कैसे
लिखूँ
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सुनो
बातें ख़ुद से तुम्हारी बादस्तूर ज़ारी
ख़लिश कमी की तुम्हारी अब हावी नहीं-
फ़ितरत बड़ी बेमुरव्वत सी है हम इंसा की
वक़्त के साथ ख़ुदा भी बदला ख़ुदाई भी
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