स्वयं पुष्प हो ठान लो ,
ईश्वर की सुंदरतम कृति हो मान लो
आएंगी बहारे खुद ही
खुश्बू लुटाना है बस जान लो ।
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तो मिलना ऐसे की सातों रंग
बेरंग से जैसे लगते हैं मिलकर
की किसी रंग को परिभाषित न कर सके कोई ।-
बहुत खूबसूरत होती है अक्सर छूटती हुई चीजें,
जैसे शांत सागर में धीरे धीरे डूबती चंचल नदी,
रात के आगोश में मद्धम मद्धम ढलती धूरी साँझ,
किसी के ख्यालों में होले होले उतरता आधा चांद,
अनकही बातों को बोलती अधरों की अधूरी मुस्कान,
अधखुली पलकों से झाँकते रतजगे किये नयन ,
पुरानी गलियों में आज भी ठिठकते हुए मन,
बिदाई में कहीं गठजोड़,तो कहीं बिछुड़ते आँगन ,
भीगते केसर की सुगंध ,सूखे टेसू का सुर्ख रंग ,
Dear December वैसे ही हो तुम भी,
बिल्कुल वैसे ही।
Shradha
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तुम्हारा लाख लाख सम्मान,
समूचे विश्व पटल पर बढ़ा दिया अभिमान।
भारत है विश्व गुरु था ये सबको संज्ञान,
आज सिध्द है हो गया आ गया परिणाम।
आज सम्पूर्ण विश्व को ज्ञात हुआ प्रमाण ,
भारत की सभ्यता संस्कृति पर है हमें गुमान।
सुहागन माँगे सुहाग तो माँ चाहे पुत्रों का वरदान,
कोई करे करवा चौथ तो
कोई सकट,बहुला चौथ व्रत महान ।
भक्ति और विश्वास की परीक्षा का था परिणाम,
सारा विश्व आज तिरंगे पर कर रहा अभिमान।
चंदा मामा ने रखा अद्भुत ये बहना का मान ,
माँ भारती गदगद हुई पा भाई का सम्मान।-
देखो आज फिर रिक्त हो गई ,
जितना अधिकार प्रेम का होता है
उतना ही नाराजगी का भी होना चाहिए ।-
किसी की महफ़िल के यादों का हिस्सा हूँ मैं
कैसे कहूँ की तन्हा हूँ मैं ।-
उम्रदराज़ नहीं होना चाहती ,
क्योंकि मैं नहीं चाहती मेरे दोस्त
उम्रदराज़ हों ।-
कुछ बुलबुले सी
तो कुछ भाप सी उड़ गई
नई नई बारिश है जनाब
पुरानी ख्वाहिशें
उमस सी उड़ गई ।-
सारे इत्रों की खुशबू
आज मंद पड़ गई
मित्रों की हलचल जरा
आज जो बढ़ गई.....-