Shradha Ahuja Ramani   (Shraddha)
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A passionate poet
Joined 3 September 2018


A passionate poet
Joined 3 September 2018
27 JUN AT 14:39

वो मर्द था… इसलिए उसकी थकान को भी आदत समझ लिया गया।

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26 MAR AT 7:21

Every chair is borrowed.
Time is the one who pulls it back.

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12 MAR AT 8:43

ज़ंजीरें जिन हाथों ने पहनाई मुझको,
अफ़सोस, वो भी किसी औरत के निकले!

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12 MAR AT 8:42

Before cribbing about your workplace, remember—you chose it. Often, it’s not the place but our own decisions that make it tough. If you work through rough times without taking a break, that’s your call. And just as you expect understanding, extend the same to your superiors—they, too, answer to someone. A little empathy goes a long way.

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11 MAR AT 7:44


“क्यों ख़ुद की लगाई आग में जलते जाते हैं,
हर मंज़िल पर रुकने से कतराते जाते हैं।
क्यों भागते हैं उस धुंधली राह पर,
जहाँ न रोशनी है, न कोई सहारा भर।

पेशानी पर पसीना, सीने में उलझन क्यों है,
हर ख़्वाहिश का अक्स दर्द का दर्पण क्यों है।
क्या ये दौड़ हमारी आत्मा की सज़ा है,
या ज़िंदगी से निभाई कोई अनजानी वफ़ा है?”

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12 OCT 2024 AT 23:26



मुझपे इल्ज़ाम है कि मैं बदल गई,
बाक़ी तो तुममें भी पहले सा कुछ न रहा।

छुपाते हो राज़ जो ख़ुद से हर वक़्त,
क्या तुमने भी अपने सपनों को छोड़ न दिया?

दिल के जज़्बात अब लफ़्ज़ों में नहीं आते,
फिर शिकायत है कि सिलसिला कुछ न रहा।

रास्ते जो कभी साथ चलने के थे,
आज कह रहे हैं, हमसफ़र कुछ न रहा।

ज़िंदगी को ज़माने से क्या शिकायत करें,
जिस मोहब्बत पे था ग़ुरूर, वो कुछ न रहा।

ख़ुद को समझाने की रस्म निभा ही लेते,
मगर अब न वो तुम हो, न हम सा कुछ रहा।

मुझपे इल्ज़ाम है कि मैं बदल गई,
पर सच तो ये है, कोई यहाँ कुछ न रहा।

श्रद्धा

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1 OCT 2024 AT 22:41

"In my journey of self-rebuilding, I’ve stopped seeing flaws in others.
Now, I focus on growth, understanding, and the beauty in every connection."

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12 JUL 2024 AT 19:49

Announcement for English poetry event

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14 JUN 2024 AT 9:17

दूरियों की चादर पे यादें टाँकिये
खिड़कियों को खोलकर ख़ुद में झांकिये

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17 APR 2024 AT 17:31

लिखने वालों का दिल बड़ा मज़बूत होता है ,
कई थ्योरीज़ भी कहती हैं कि अगर आप अपनी समस्या को स्पष्ट रूप से काग़ज़ पर लिख लो तो समस्या कई प्रतिशत तक कम हो जाती है , हर कलाकार , चाहे वो लेखक हो , कवि हो , अभिनेता या संगीतकार , अपने दर्द को अपनी कला के माध्यम से अपने सिस्टम से बाहर निकाल देता है ।

अपने अंदर के कलाकार को पानी पिलाते रहिए , उसे सूखने ना दें🙏🏻

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