Shraddha S Sahu   (Shraddha S Sahu)
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Joined 12 January 2018


Joined 12 January 2018
13 JAN 2022 AT 22:56

मुझे पर्वतों की तरह मत रोको
मुझे दरिया की तरह बहने दो
टकराएंगे लहरें कई बार तुमसे
तुम इतराओगे गुमान में
कि तुम ने रोक लिया है मुझे
निशान भी देखना अपने सीने पर
मैंने डर कर भी तुम्हें जख्म दे ही दिया
मैं खामोश जरूर हूं लेकिन
झुक जाऊं जिद पर झुक जाऊं यह मुमकिन नहीं
धीरे-धीरे ही तुम्हें काट कर मैं रास्ता बना ही लूंगी l

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24 DEC 2021 AT 10:05

थोड़ा कहूं तो ज्यादा समझना
आज बहुत दिनों बाद अल्फाजों का साथ मिला है
कब से जो धधक रहे थे दिल के किसी कोने में
आज उन्हें शोलों से कोहराम मचा हुआ है
चांदनी रात में आज भी अंधेरा
देखो ना दूर तक पसरा हुआ है
नजर ले आओ फिर से कहीं जो आर पार देख सके
यहां तो सभी का ईमान कहीं बिका हुआ है

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22 DEC 2021 AT 14:57

Kami hai tumhari akharti kahan kahan bataun tumhe
Main adhoori tumhare bagair bus itni si baat hai

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21 DEC 2021 AT 9:28


कितने सफहो पर लिखूं तुम्हारे नाम पैगाम ए इश्क
गुमनाम पते को खत कोई जाए तो कैसे जाए

नहीं फुर्सत मुझको भी खोजू मैं तेरा पता
क्यों ना तुझे ही अपने दिल में कहीं बुला बसाया जाए

तेरे ही तसव्वर में महकती है मेरी सुबह शाम
कैसे बगीचे में फूलों से दिल लगाया जाए

ख्वाबों रोज होती है मुलाकातें हजार
क्यों ना कहीं मुलाकात का बहाना तलाशा जाए

भूलते नहीं मेरे लम्हे तेरे साथ बिताए लम्हों को
इससे ज्यादा तुम्हें याद रखने का क्या हिसाब रखा जाए

दस्तूर है दुनिया का मोहब्बत को ठुकरा देना
क्यों ना इस मोहब्बत को राज आज बना दुनिया से छुपाया जाए

होती है सभी को बंदगी खुदा से
क्या जरूरी है इस मोहब्बत का मुज़ाहिरा किया जाए

Ahsaas

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19 DEC 2021 AT 16:16

Separation

You brought tears to eyes
When you said good bye
I had no courage to reply
Except
A mad effort to hold the wheel
Of Time's chariot
I had no way but a wish
To hold the sun
And hide it beneath the cloudy sheet
I wanted to pause moments
But I couldn't hold...
Within sometime
I spent my life
In  your expressive eyes
You remained calm
I never heard anything
But listened to the silence
Speaking through your eyes...
Time was cruel...
It threw me and ran on its pace
I was there crying on the shore
Eyes were not there to be felt
I had left them far

Shraddha S Sahu

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19 DEC 2021 AT 16:08

गिला है बहुत तुमसे कैसे कहूं समझ नहीं आ रहा
सिवाय इसके कि दूर होते जा रहे हो तुम मुझसे
और मुझसे यह दर्द सहा नहीं जा रहा


एहसास

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18 DEC 2021 AT 18:47

क्या वास्तव में सब खत्म ?
क्या बिल्कुल खत्म ?
कुछ शेष ?
तो  जो रह गए हैं अवशेषों का क्या?
जो रह गए हैं मेरी स्मृतियों में
  डसते है मुझे जो मुझे सर्प की भांति
  चुभते हैं मुझे जो  शूल की भांति
न मृत्यु है ना सांसे  शेष
मुझे इस विरह से मुक्ति दो
मोक्ष दो
जाते-जाते अवशेषों से कह दो
खत्म कर दें अब यह मुझे
नहीं है जीवन संभव अब तुम्हारे बिना

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17 DEC 2021 AT 20:20

Had it better stayed a little longer
Not longer than the eternity
It vanished so soon before it could bloom perfectly
Alas all the dreams couldn't escape mortality!!

SSS

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17 DEC 2021 AT 0:07


काश ऐसा हो
सांस आखिरी हो
और तू सामने
जाते-जाते तुझे इन आंखों में
एक बार फिर से भर लूं
और सो जाऊं मैं हमेशा के लिए


एहसास

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17 DEC 2021 AT 0:03

जब तुम गए थे ...
ऐसा लगता था
कैसे जिऊंगी तुम्हारे बिना...
देखो अरसा बीत गया
यही सोचते सोचते
कि तुम आओगे
कल आओगे
कल नहीं तो परसों आओगे
कभी तो आओगे
पल बीते दिन बीते
मास बीते
और अब तो साल बीत गया
यूं ही तुम्हारी राह तकते तकते
लेकिन तुम नहीं आए
ऐसे ही जिंदगी बीत जाएगी
तुम्हारे आने की उम्मीद लिए
इंतजार ही अब सांसे बन गया है मेरी
मेरे जीने की उम्मीद
मैंने जो तुमसे कभी लगाई थी
तुम्हारी आंखों में खुद के लिए
मोहब्बत देखने के बाद

एहसास

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