कानों में रस घोलती है
आंखें ख़ामोश होकर भी
जैसे मीठे बोल बोलती है ।
मैं गुम हो जाती हूं उसकी पनाहों में
जब वो देखता है मेरी निगाहें अपने निगाहों में ।
दुनिया से बेख़बर जाने कहां रहती हूं
मुहब्बत में उसकी नदी बनके बहती हूं ।
वो क्या मिला मुझे मेरी दुनिया जन्नत बन गई
हर पल दुआओं में उसकी मुहब्बत मन्नत बन गई ।
वो है तो मुझे और क्या चाहिए
ताउम्र उसका साथ रहे यही दुआ चाहिए ।।
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