Shraddha Rathore   (श्रद्धा राठौर ‌‌' वेद ')
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Joined 30 April 2020


Joined 30 April 2020
29 APR AT 12:58

इंसान चाहे न चाहे....... किसी भी रिश्ते में
जहां प्यार रहेगा वहां डर और आशंकाएं दोनों रहेंगे ।।

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27 APR AT 16:06

बड़ी बेरहम है ज़िंदगी
सांसें देती है पर साधन नही देती
ज़िंदगी को फिर भी जिया है इन नन्हें कदमों ने
क्यों नसीब इन मासूमों की बलाएं नहीं लेती

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22 APR AT 8:42

मुश्किल नही है फिर से कहीं और बसेरा करना
पर आसान भी तो नही है अपना सुकून अपना घर छोड़ना

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20 APR AT 22:51


पता ही नही चला कब उम्र का एक दौर गुज़र गया
पलट कर देखा बरसों बाद सारा मंज़र ही बदल गया
इस बीच ज़िंदगी के पांव जाने कैसे फिसल गए
देखते ही देखते सारी यादें जनाजों में निकल गया

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15 APR AT 22:51

कानों में रस घोलती है
आंखें ख़ामोश होकर भी
जैसे मीठे बोल बोलती है ।
मैं गुम हो जाती हूं उसकी पनाहों में
जब वो देखता है मेरी निगाहें अपने निगाहों में ।
दुनिया से बेख़बर जाने कहां रहती हूं
मुहब्बत में उसकी नदी बनके बहती हूं ।
वो क्या मिला मुझे मेरी दुनिया जन्नत बन गई
हर पल दुआओं में उसकी मुहब्बत मन्नत बन गई ।
वो है तो मुझे और क्या चाहिए
ताउम्र उसका साथ रहे यही दुआ चाहिए ।।

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14 APR AT 16:27

ज़मीं पे कहीं खड़े रहो तो सम्हल जाने का मौका होगा
सफलता के बाद जो स्वभाव बदल दे ....उन्हें देर नही लगती दिल से उतर जाने में ।।

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13 APR AT 14:48

सिमट गया आंगन अब ना रही चिरैया
जाने किधर गई गुम हुई फुदकती गौरैया ।
ना भौंरे की गुंजार ना झिंगुर की भरमार
सूखा सारा तालाब और सूख गई अमरैया ।।

चवन्नी का बर्फ़ ना अठन्नी की कूल्फ़ी
कौड़ी ना पासा ...लाई ना ठंडा बताशा ।
दुध चिवड़ा बिखर गए चालगोटी किधर गए
बारी बरखी उजड़ी हुई चौपाल रहा ठगा सा ।।

सब कुछ नया नया कुछ ना बची पुरानी ।
याद बनकर रह गई अपने दिनों की कहानी ।।

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12 APR AT 14:27

जहां गहरा प्रेम होता है वहां डर और आशंकाएं भी साथ चलती है
अनहोनी का डर मन के किसी कोने में समय-समय पर सांस लेकर पलती है
इन विचारों को जब तक ना फेंको सुकून भी कहां मिलती है
अत्यधिक प्रेम का होना भी डर को जन्म देना है

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10 APR AT 22:21

सांसें फूलेंगी और पैर थरथरायेंगे कैसे भी करके ज़िंदगी बिताएंगे
सुख दुख ईर्ष्या द्वेश जीवन यात्रा का पड़ाव है
पर नीति नियम आचार विचार से सब सम्हल जाएंगे
ये ज़िंदगी किसी पे तरसती तो किसी पर बरसती है
कर्म के मुताबिक ही नियति हमें आजमाएंगे
कल की चिंता ना बीते का अफ़सोस रहे
आज में जीकर ज़िंदगी का पहाड़ पार कर दिखाएंगे ।।

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10 APR AT 20:33

तकलीफ़ हमें तोड़ने जरूर आती है
पर वो दिल से दिल को जोड़कर चली जाती है

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